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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद जिले में गेमिंग ऐप के जरिए नाबालिगों के धर्म परिवर्तन करने का मामला सामने आया है. पुलिस ने गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एक मौलवी को गाजियाबाद के संजय नगर से गिरफ्तार किया है. पुलिस सूत्रों का दावा है कि वो धर्म परिवर्तन के लिए नाबालिगों को उकसाते थे और करीब 2 साल से पूरा खेल चल रहा था.
जानकारी के अनुसार, केंद्र और राज्य की सरकारों ने मामले का संज्ञान लिया है और यह पता लगाने के लिए जांच चल रही है कि "गिरोह के तौर-तरीकों" के परिणामस्वरूप कितने बच्चे दूसरे धर्म में परिवर्तित हुए हैं.
'क्विंट हिंदी' से बात करते हुए गाजियाबाद के DCP निपुन अग्रवाल ने कहा, "30 मई को, कवि नगर पुलिस स्टेशन में धर्म परिवर्तन का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें दो लोगों को नामजद किया गया था और उनकी पहचान ठाणे, महाराष्ट्र के रहने वाले शाहनवाज खान उर्फ बद्दो और संजय नगर इलाके में रहने वाले एक मस्जिद के मौलवी नन्नी उर्फ अब्दुल रहमान के रूप में हुई थी."
DCP निपुन अग्रवाल ने कहा, " इस मामले में पुलिस ने अब्दुल रहमान को गिरफ्तार किया है, जो सजय नगर के सेक्टर 23 की एक मस्जिद में मौलवी थी. वो यूपी के बलिया का निवासी है और कई वर्षों से गाजियाबाद में रह रहा है. वो 10वीं पास है."
जानकारी के अनुसार, गाजियाबाद के सजय नगर निवासी एक पीड़ित माता-पिता ने 30 मई को कविनगर थाने में मामाल दर्ज कराया था, जिसमें धर्म परिवर्तन की बात कही गई थी. इसके बाद पुलिस ने गिरोह का पर्दाफाश किया.
एक अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "पीड़ित माता-पिता को पांच-छह महीने पहले से जानकारी थी, और वो बच्चे को समझाने की कोशिश कर रहे थे. एक बार बच्चे ने पुलिस को बुला लिया था और कहा था कि वो उसके मां-बाप से उसे जबरन डांटते हैं. हालांकि, तब धर्म परिवर्तन की बात सामने नहीं आयी थी."
डीसीपी निपुन अग्रवाल ने बताया कि गेमिंग ऐप का नाम 'फोर्टनाइट' था. उन्होंने कहा कि आरोपी शाहनवाज खान, जिसका डिजिटल नाम 'बद्दो' था, वो 'फोर्टनाइट' पर खेल रहे बच्चों को देखता था.
पुलिस अधिकारी के मुताबिक, आरोपी ऑनलाइन गेमिंग ऐप के डिस्कॉर्ड चैटिंग प्लेटफॉर्म पर बच्चों के संपर्क में रहते थे, जिसमें उन्हें कथित तौर पर जाकिर नाइक और तारिक जमील सहित कई कट्टरपंथी मुस्लिम उपदेशकों के वीडियो दिखाए जाते थे.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि नाबालिग प्रतिदिन शाम को जिम का बहाना बनाकर घर से निकलता था और मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ता था. एक दिन माता-पिता को शक हुआ तो उन्होंने पीछा किया और तब जाकर मामला सामने आया.
डीसीपी अग्रवाल ने कहा, "वह (नाबालिग) तारिक जमील के वीडियो देखता था. उन वीडियो को देखने के बाद, उसने धर्म परिवर्तन किया."
पुलिस के अनुसार, मौलवी अब्दुल रहमान से पूछताछ के बाद पूरे खेल का पर्दाफाश हुआ. हालांकि, मस्जिद कमेटी ने पुलिस को बताया है कि रहमान ने कुछ महीने पहले मस्जिद छोड़ दिया था, लेकिन अभी तक दावे का कोई सबूत पेश नहीं किया है.
इस वारदात के कथित मास्टरमाइंड शाहनवाज खान उर्फ बद्दो को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस की एक टीम महाराष्ट्र गई है. वहीं, आगे की जांच के लिए गाजियाबाद से एक टीम चंडीगढ़ और फरीदाबाद भी गयी है.
डीसीपी अग्रवाल ने कहा, "उसे (शाहनवाज) जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा. एक पुलिस टीम महाराष्ट्र भेजी गई है. नाबालिग बच्चे ऑनलाइन गेमिंग एप्लिकेशन के प्रति ज्यादा आकर्षित होते हैं. इसलिए अपराधी इसका फायदा उठाते हैं. संभवत: यह तरीका नाबालिगों को निशाना बनाता है."
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, एसीपी (कवि नगर) अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा, "हमने फरीदाबाद के लड़के से पूछताछ की और पता चला कि वह और अन्य लोग 2021 से एक गेमिंग ऐप के जरिए रहमान के संपर्क में थे. उसकी मां ने उसके व्यवहार में बदलाव देखा और उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ."
अभिषेक श्रीवास्तव ने आगे कहा, " उसके माता-पिता के मरने के बाद, वह खुद पॉजिटिव हो गया था. इमाम उसके पास पहुंचा और उसे विश्वास दिलाया कि उसकी प्रार्थनाओं ने उसे वायरस से ठीक कर दिया है. युवा तब नाबालिग था, उसने इस्लाम पर कुछ YouTube वीडियो देखना शुरू किया और फिर वो धर्मांतरण के लिए आकर्षित हुआ.
जांच के दौरान, यह भी पता चला कि डिस्कॉर्ड चैटिंग इंजन में यूरोप के विभिन्न हिस्सों से अन्य बच्चे आते थे. पुलिस एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा, "यह दर्शाता है कि इस पूरे खेल का अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन है."
उन्होंने कहा कि ये बच्चे शुरू में ईसाई थे. लेकिन बाद में इस्लाम धर्म में परिवर्तित हो गये.
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