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कोविलपट्टी के मजिस्ट्रेट एमएस भारतीदासन ने मद्रास हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को 3 पेज की रिपोर्ट सौंपी है. इसमें तूतीकोरिन में जयराज और बेनिस की मौत से जुड़ी भयानक जानकारी दी गई हैं.
इस मामले में महिला हेड कॉन्सटेबल भी एक प्रत्यक्षदर्शी हैं. साथनकुलम पुलिस स्टेशन से यही एक मात्र शख्स हैं जिन्होंने 19 जून की रात को पुलिस स्टेशन में क्या हुआ था ये बताया है.
28 जून को मजिस्ट्रेट ने साथनकुलम पुलिस स्टेशन में 15 घंटे बिताए, जिससे वो पुलिसवालों के बयान दर्ज कर सकें और इस केस से जुड़े सबूत इकट्ठा कर सकें.
द क्विंट उस रिपोर्ट तक पहुंचा जो मजिस्ट्रेट ने हाईकोर्ट को सौंपी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक कॉन्सटेबल अपनी सुरक्षा को लेकर डरे हुए थे और जो कुछ हुआ वो लोग बताने से बच रहे थे. महिला पुलिसकर्मी ने पहचान छुपाए रखने की शर्त पर बताया कि कैसे जयराज और बेनिस को रात भर पीटा गया और लाठियों-टेबल पर खून के धब्बे थे. महिला पुलिसकर्मी ने मजिस्ट्रेट से कहा कि वो जल्द से जल्द लाठी वगैरह को जब्त करें क्योंकि कथित तौर पर कुछ लोग सबूत मिटाने की कोशिश कर रहे हैं. मजिस्ट्रेट के मुताबिक इतना सब होने के बाद भी पुलिस वालों ने गवाहों को डराने की कोशिश की.
जब जांच करने आए मजिस्ट्रेट ने पुलिसवालों से अपनी लाठी पेश करने के लिए कहा तो उन्होंने बात को अनसुना कर दिया और उन्होंने असभ्य व्यवहार किया. एक पुलिस वाले से लाठी पेश करने के लिए कहा गया तो वो पुलिस स्टेशन कूदकर भाग गया.
जब मजिस्ट्रेट ने पुलिस स्टेशन की सीसीटीवी फुटेज निकलवाने की कोशिश की तो उन्हें 19 जून का कोई वीडियो डाटा नहीं मिला. मजिस्ट्रेट ने बताया कि- कोर्ट के सिस्टम ऑफिसर के द्वारा हार्डडिक्स की जांच की गई तो ये पता चला कि हार्ड डिस्क में पर्याप्त (1TB) जगह है. इसमें इस तरह से सेटिंग की गई है कि ये हर दिन डाटा उड़ा देती है. मजिस्ट्रेट ने अपनी रिपोर्ट में ये भी लिखा है कि जब वो पुलिस स्टेशन में जांच कर रहे थे तो पुलिस ऑफिसर ने अच्छा व्यवहार नहीं किया और उन्होंने कई बार धमकाने की भी कोशिश की.
मजिस्ट्रेट ने अपना कैंप ऑफिस तिरुचेंडुर के गेस्ट हाउस में शिफ्ट कर लिया. वहां उन्होंने करीब 12 लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें बेनिस के परिवारवाले दोस्त शामिल थे.
परिवारवालों ने क्विंट को बताया कि वो काफी संतुष्ट हैं जिस तरीके से मजिस्ट्रेट सबूतों को लेकर पेश आए हैं. मजिस्ट्रेट ने परिवारवालों से कहा- 'मेरे पास कोई कारण नहीं है कि वो आरोपियों को बचाएं. इसलिए मैं कोशिश करूंगा की मैं सच बोलूं. इसलिए आप कोऑपरेट कीजिए और जो कुछ हुआ है वो बताइए'.
परिवार वालों का कहना है कि पुलिस वालों ने इस मामले में साइको की तरह व्यवहार किया है.
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