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जेल में बंद और मारे गए UP के कई माफिया डॉन फेसबुक पर एक्टिव कैसे?

वो माफिया डॉन, जो जेल में हैं या मारे जा चुके हैं, उन्हें फेसबुक पर ‘सक्रिय’ पाया गया है.

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जेल में बंद और मारे गए UP के कई माफिया डॉन फेसबुक पर एक्टिव कैसे?
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जेल में बंद और मारे गए UP के कई माफिया डॉन फेसबुक पर एक्टिव कैसे?
(फोटो: iStock)

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उत्तर प्रदेश के वो माफिया डॉन, जो जेल में हैं या मारे जा चुके हैं, उन्हें सोशल नेटवर्किंग साइट्स खासकर फेसबुक पर 'सक्रिय' पाया गया है. मारे जा चुके डॉन को उनके दोस्तों और समर्थकों के जरिए सोशल मीडिया के माध्यम से 'जीवित' रखा जा रहा है, जो समय-समय पर उनसे जुड़े पोस्ट साझा करते रहते हैं, ताकि इनकी यादों को ताजा रखा जा सके और लोगों से भी उनका जुड़ाव बना रहे. यही नहीं, जेल में बंद डॉन भी फेसबुक पर सक्रिय हैं. वे हालांकि इस बात पर जोर देते हैं कि उनके बेटे/भतीजे उनके नाम से बनाए गए फेसबुक पेज चलाते हैं, क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग उनसे जुड़े रहना चाहते हैं.

डॉन वीरेंद्र प्रताप शाही का फेसबुक अकाउंट!

70 और 80 के दशक में अपराध से गोरखपुर को उत्तर भारत की अपराध राजधानी बनाने वाले डॉन वीरेंद्र प्रताप शाही की 1997 में लखनऊ में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. शाही की फेसबुक डिस्प्ले तस्वीर में उनका बखान 'शेर-ए-पूर्वांचल' के तौर पर किया गया है और इसमें दहाड़ते हुए शेर की तस्वीर भी है. यहां शाही की तरफ से उनके समर्थकों को कई त्योहारों पर बकायदा बधाई दी जाती है. इसके अलावा उनके समर्थक उनकी बरसी पर डॉन को श्रद्धांजलि भी देते हैं और साथ ही लोगों को याद दिलाते रहते हैं कि वही असली 'शेर-ए-पूर्वांचल' थे. उनकी मौत के 22 साल बाद उनके पेज को 1,767 लाइक्स मिले हैं और उनके 1,768 फॉलोअर हैं.

उनके समर्थक उनकी तस्वीरों को पोस्ट करते हैं और उनके अच्छे कामों का भी बखान करते रहते हैं.

डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला भी 'एक्टिव'

फेसबुक पर एक और मृत डॉन श्रीप्रकाश शुक्ला भी 'एक्टिव' है. उत्तर प्रदेश के इतिहास में सबसे खूंखार बदमाशों में शुमार रहे शुक्ला की अंडरवल्र्ड गतिविधियों के बाद ही 1998 में उत्तर प्रदेश में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया गया था. उसी साल, गाजियाबाद में एसटीएफ ने गैंगस्टर को गोली मारकर मौत की नींद सुला दिया था. उसका फेसबुक पेज गर्व से उसे 'डॉन' और 'गैंगस्टर ग्रुप-जी 2' का नेता बताता है. इस खूंखार अपराधी को 1998 में गोली मार दी गई थी, लेकिन उसका एफबी पेज उसे अभी भी जिंदा रखे हुए है.

इस पेज के माध्यम से शुक्ला की ओर से कथित रूप से एक पोस्ट भी की गई है, जिसमें लिखा है, “मैं एक गैंगस्टर हूं और गैंगस्टर सवाल नहीं पूछते.” मारे गए डॉन की कवर फोटो वह है, जो पुलिस रिकॉर्ड में मौजूद है और समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुकी है.

मुन्ना बजरंगी की भी हो चुकी है मौत

इसके अलावा मुन्ना बजरंगी का भी एक फेसबुक पेज है. उसकी पिछले साल जुलाई में बागपत जेल के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. हालांकि उसके पेज पर कोई पोस्ट नहीं हैं. सबसे दिलचस्प फेसबुक पेज एक 'उभरते डॉन' का है, जो पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी के बेटे अमनमणि त्रिपाठी का है. अमरमणि त्रिपाठी एक कवयित्री की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है. अमनमणि निर्दलीय विधायक भी है.

अपहरण मामले में अमनमणि जमानत पर बाहर है और अपनी पत्नी सारा की 'आकस्मिक हत्या' के लिए सीबीआई जांच का सामना कर रहा है. कवर फोटो में वह अपने समर्थकों के साथ दिखता है. जब वह 2016 में अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में जेल में था, तब वह नियमित रूप से अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर रहा था, लेकिन मीडिया द्वारा रिपोर्ट किए जाने के बाद इस तरह की गतिविधि बंद हो गई.

दिलचस्प बात यह है कि फेसबुक पर अमनमणि की दोस्तों की सूची में पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, आईपीएस अधिकारी अतुल शर्मा और आईएएस अधिकारी संजय प्रसाद शामिल हैं.

मुख्तार अंसारी के परिवारवाले संभालते हैं फेसबुक पेज

बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या और अन्य मामलों में बीते 15 सालों से जेल में बंद डॉन मुख्तार अंसारी भी सोशल मीडिया पर सक्रिय है और उसका फेसबुक पेज उसके घरवाले संभालते हैं.

वाराणसी जेल में बंद मॉफिया डॉन और उत्तर प्रदेश विधान परिषद सदस्य बृजेश सिंह भी फेसबुक पर सक्रिय है और इस फेसबुक सक्रियता के पीछे बृजेश के करीबी रिश्तेदार व भाजपा विधायक सुशील सिंह की मेहनत है.

(इनपुट: IANS)

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Published: 01 Jan 2020,10:27 PM IST

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