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मेरठ के एक नामी निजी अस्पताल के दो स्टाफ नर्सों को कथित तौर पर रेमडीसिविर इंजेक्शन बेचने की कोशिश करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, इंजेक्शन जिस मरीज के नाम पर दिया गया था,उस मरीज को इंजेक्शन नहीं लगाया गया, जिसके कारण कुछ दिन पहले उस मरीज की कोरोना से मौत हो गई. पुरुष नर्स बाजार में 32,000 रुपये में इंजेक्शन बेच रहा था.
वहीं जिस दवा की कीमत लगभग 900 से 2000 रुपये है, उसकी नीलामी में 25,000 रुपये बोली लगाई गई थी. पुलिस ने दो फर्जी लोगों को गिरफ्तार किया. दोनों मरीज के रिश्तेदार होने का नाटक कर रहे थे. रिपोट्स के अनुसार, एक मरीज, शोभित जैन को उनकी गंभीर स्थिति के कारण इंजेक्शन लगाया जाना था. उन्हें तीन खुराक मिलीं लेकिन चौथी को दोनों नर्सों ने चुरा लिया.
जब जैन की मृत्यु हुई, तो उन्होंने ग्राहकों की तलाश शुरू कर दी. और दवा की बोलियां लगाई. दवा की नीलामी सौदा 25,000 रुपये में हुई . हालांकि, वे पुलिस के जाल में फंस गए.
मेरठ के एसएसपी अजय साहनी का कहना है कि हमारी टीम इस मामले की छानबीन कर रही है. इंजेक्शन की नीलामी 7 दिन तक चली जिसके बाद नर्सो ने उसे 32000 में बेचा. इंजेक्शन शोभित जैन के नाम पर दिया गया था, जिसकी अब मौत हो चुकी है. इस मामले में हमने आबिद खान और अंकित शर्मा को गिरफ्तार किया है. उन्होंने आगे कहा, 'सौदा हो जाने के बाद, हमारी टीम अस्पताल पहुंची और इंजेक्शन लगाने के लिए कहा. जब नर्सों को पता चला कि यह पुलिस है जो दवा के लिए आई थी, तो उन्होंने भागने की कोशिश की. लेकिन हमने उन्हें पकड़ लिया. वहां तैनात छह सुरक्षा गार्ड ने दोनों को बचाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस टीम ने उन्हें भी पकड़ लिया."
एसएसपी ने कहा कि इन सभी के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 147 (दंगा करना), 342 (आपराधिक साजिश), 353 (सार्वजनिक बल पर अपने कर्तव्य के निर्वहन से लोक सेवक को हिरासत में लेना या आपराधिक बल और 120 बी) के तहत मामला दर्ज किया गया है. उनके खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट और महामारी रोग अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई हैं.
इस बीच, अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि यह एक 'अलग-थलग घटना' थी और उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी. हालांकि, उन्होंने पुलिस कार्रवाई का समर्थन किया.
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