Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019दिल्ली की अदालत ने स्वाति मालीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय किए

दिल्ली की अदालत ने स्वाति मालीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय किए

दिल्ली की अदालत ने स्वाति मालीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय किए

IANS
न्यूज
Published:
i
null
null

advertisement

नई दिल्ली, 9 दिसम्बर (आईएएनएस)। दिल्ली की एक अदालत ने गुरुवार को दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल और तीन अन्य के खिलाफ आम आदमी पार्टी (आप) के कार्यकर्ताओं सहित अवैध रूप से लोगों को नियुक्त करके अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने और मौद्रिक लाभ प्राप्त करने के लिए भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के आरोप तय किए।

भाजपा नेता और डीसीडब्ल्यू की पूर्व अध्यक्ष बरखा शुक्ला सिंह द्वारा 2016 में भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) में शिकायत दर्ज कराने के बाद मामला दर्ज किया गया था।

दर्ज शिकायत के आधार पर शुरू में जांच हुई और बाद में प्राथमिकी दर्ज की गई।

राउज एवेन्यू कोर्ट के विशेष न्यायाधीश डीजी विनय सिंह ने मालीवाल, प्रोमिला गुप्ता, सारिका चौधरी और फरहीन मलिक के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी और अन्य अपराधों के लिए धारा 13(1)(डी), 13(1) (2) और 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत आरोप तय किए।

कोर्ट ने कहा, उपरोक्त तथ्य एक मजबूत संदेह पैदा करते हैं कि आरोपी व्यक्तियों के आक्षेपित कार्यकाल के दौरान विभिन्न पदों पर विभिन्न पारिश्रमिक के लिए मनमाना तरीके से भर्ती की गई थी, जिसमें सभी नियमों और विनियमों का उल्लंघन किया गया था जिसमें निकट और प्रियजनों को नियुक्त किया गया था और सरकारी खजाने से उन्हें पारिश्रमिक दिया गया था।

कोर्ट ने कहा, उपरोक्त चर्चा से भी प्रथम ²ष्टया यह संकेत मिलता है कि अधिकांश नियुक्तियां आरोपी व्यक्तियों/आप पार्टी के निकट और प्रिय लोगों को दी गई थीं। इस प्रकार, अभियुक्त व्यक्तियों द्वारा यह दावा नहीं किया जा सकता है कि उन्होंने अन्य व्यक्तियों के लिए आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए अपनी स्थिति का दुरुपयोग नहीं किया है, अर्थात नियुक्त व्यक्ति, या यह कि प्रथम ²ष्टया कोई बेईमानी का इरादा नहीं था।

अभियोजन पक्ष द्वारा यह दावा किया गया है कि आप कार्यकर्ताओं और परिचितों को डीसीडब्ल्यू के विभिन्न पदों पर नियत प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त करके योग्य उम्मीदवारों के वैध अधिकार का उल्लंघन किया है।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, इस मामले के तथ्यों से पता चलता है कि प्रियजनों और भाई-भतीजावाद के हित को बढ़ावा देना भी भ्रष्टाचार का एक रूप है।

--आईएएनएस

एसकेके/एएनएम

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT