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"2 महीने में मेरा BPSC प्री का पेपर है. आप मीडिया और कोचिंग वालों की वजह से मैं आज पढ़ नहीं सकती. मीडिया 4 दिन में सब भूल जाएगी लेकिन हमारी बंद लाइब्रेरी कब खुलेगी, यह मुझे नहीं पता.."
दिल्ली के नेहरू विहार में स्थिति वर्धमान प्लाजा की सीढ़ियों पर बैठी प्रज्ञा ने सामने जाते ही पहली बात यही कही. प्रज्ञा वर्धमान प्लाजा में चलने वाले 'दृष्टि द विजन' कोचिंग संस्थान में पढ़ती हैं. लेकिन अब MCD ने इसके बेसमेंट में चल रहे क्लास और लाइब्रेरी पर ताला लगा दिया है.
दरअसल ये किताबों वाली लाइब्रेरी नहीं हैं. ये A/C कमरे वाले स्टडी सेंटर हैं जिनमें सैकड़ों कुर्सियां और टेबल लगे होते हैं. प्रज्ञा की परेशानी अकेले उसकी खुद की नहीं है. सड़क, चाय की दुकान से लेकर पार्क तक, हमें मुखर्जी नगर और नेहरू विहार में कई ऐसे बच्चे मिले जो इसबात को लेकर परेशान हैं कि अब वे अपनी पढ़ाई कहां करें. क्विंट हिंदी ने उनसे बात की और समझने की कोशिश की कि उनके लिए यह संकट कितना बड़ा है.
24 वर्षीय शुभम कुमार UPSC सिविल परीक्षा के दो अटेंप्ट दे चुके हैं. वे हमें वर्धमान प्लाजा के सेकेंड फ्लोर पर अंधेरे के बीच कुछ तलाश करते मिले. पूछने पर बताया कि वो किसी इंचार्ज से बात करके यह जानना चाहते हैं कि लाइब्रेरी कब खुलेंगीं. उन्होंने कहा, “ मैं दृष्टि द विजन के मेंटरशिप प्रोग्राम में हूं. मेरे नोट्स उसके लाइब्रेरी के अंदर ही फंसे हैं और लाइब्रेरी सील कर दी गई है. इससे पहले की हम किताबें निकाल पाते, MCD ने लाइब्रेरी सील कर दिया. अक्टूबर में ही मेरा पेपर है."
हमने यह जानना चाहा कि आखिर छात्र पढ़ने के लिए लाइब्रेरी पर निर्भर क्यों हैं? इस सवाल पर एक अन्य अभ्यर्थी श्याम कहते हैं,
वहीं शुभम कहते हैं, "यहां लाइब्रेरी में रेगुलरिटी बनी रहती है. अगर मैं अपने रूम पर एसी लगाकर चलाउं तो 5-6 हजार बिजली का बिल आएगा, जबकि लाइब्रेरी में हम 2.5-3 हजार देकर अपनी सीट रिजर्व कर सकते हैं.”
GS वर्ल्ड कोचिंग सेंटर से पढ़ाई कर चुकीं 28 वर्षीय आरती अब सेल्फ स्टडी करती हैं. वो भी अंधेरे के बीच बंद लाइब्रेरी से इस आस में गुजर रहीं हैं कि कोई उनको उनकी किताबें दिला दे. उन्होंने कहा, “4-5 दिन हो गए हैं और सबकुछ डिस्टर्ब ही चल रहा है. हम सबकी किताबें लाइब्रेरी में फंसी हैं. यह सब शनिवार को शुरू हुआ और रविवार को हमें अचानक कहा गया कि आप लाइब्रेरी खाली करो, कल सुबह खुलने पर आना. अगले दिन और बड़ा प्रोटेस्ट शुरू हुआ और ये लाइब्रेरी बंद की बंद रहीं.”
23 साल के नरेश कुमार मीणा राजस्थान के सवाई माधोपुर से सिविल सेवाओं की तैयारी करने दिल्ली के मुखर्जीनगर आए हैं. क्विंट हिंदी से बातचीत में उन्होंने कहा “कोचिंग बंद हो गई है तो हमारा सिलेबस और आगे बढ़ जाएगा. जो सिलेबस 18 महीने में पुरा होना था उसमें शायद 22 महीने लग जाएं. लाइब्रेरी बंद है तो पढ़ाई तो ऐसे ही डिस्टर्ब हो रही है.
इसके बाद नरेश कुमार मीणा अपने कमरे पर हमें ले गए जहां वो अपने दो अन्य साथियों के साथ परीक्षा की तैयारी करते हैं. कमरे से आती उमस की गंध बता रही है कि उनके लिए इस मौसम में लाइब्रेरी ज्वाइन करना मजबूरी है. टेनिस खिलाड़ी राफेल नडाल के फैन नरेश इस कमरे के लिए हर महीने 9 हजार रूपए देते हैं. बिजली-पानी का चार्ज अलग है.
22 साल के प्रकाश मीणा नरेश के साथ ही रहते हैं. वे राजस्थान के दौसा से हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोचिंग की तरफ से यह साफ कर दिया जाता कि क्लासेज कबसे शुरू होंगी, तो हम उस हिसाब से घर चले जाते. अभी उलझन की स्थिति है.
नेहरू विहार के एक पार्क में छात्रों का समूह बैठा हुआ है. कुछ के हाथ में किताबें हैं और वे वहीं उमस भरी गर्मी में आपस में बात कर रहे हैं. क्विंट हिंदी से उनमें से एक ने कहा, “रूम में सर्वाइव करना तक मुश्किल होता है. एक रूम में हम 3-4 लोग रहते हैं और उपर से यह गर्मी. हम बस चाहते हैं लाइब्रेरी खोल दी जाएं. सारे बच्चे जो बाहर भटक रहे हैं, वो पढ़ने बैठ जाएं. आपको सड़क, चाय की दुकान या पार्क में जितने बच्चे दिख रहे हैं, वे लाइब्रेरी में पढ़ने वाले ही हैं.
एक छात्र ने कहा, “सीरियसली पढ़ाई करने वाले छात्र सबसे अधिक परेशान हैं. अगर इन सबकी वजह से कोई फेल हो गया तो वे गलत कदम उठा सकते हैं. यह कोई समझ नहीं रहा है. जो प्रदर्शन चल रहा है वो अपनी जगह ठीक है. लेकिन हमारी पढ़ाई तो नहीं रुकनी चाहिए न.
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