advertisement
नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)| देशभर के हजारों किसान शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी में रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक विरोध प्रदर्शन करते हुए रैली निकालेंगे, ताकि सरकार पर फसलों की ऊंची कीमत और कृषि ऋण माफी के लिए दवाब बना सकें। 184 से ज्यादा किसान संगठनों के छत्र संगठन ऑल इंडिया किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के मुताबिक, पिछले देश साल से परेशान किसानों का दो दिवसीय विरोध प्रदर्शन गुरुवार से शुरू होगा।
स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने संवाददाताओं से कहा, "हमने अपनी पहली रैली मंदसौर गोलीबारी के बाद निकाली थी, जिसे ना सिर्फ किसानों का, बल्कि देश के आम लोगों का भी समर्थन मिला। एआईकेएससीसी किसानों से जुड़ी सभी विचारधाराओं को एक साल लेकर आया है।"
एआईकेएससीसी समन्वय वी.एम. सिंह ने कहा कि देश के विभिन्न भागों से आ रहे किसानों की रैली गुरुवार को रामलीला मैदान से शुरू होगी।
स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और सांसद राजू शेट्टी एआईकेएससीसी से भी जुड़े हैं। उन्होंने किसानों की कर्ज माफी और कृषि वस्तुओं के लिए मूल्य गारंटी मुहैया कराने के लिए लोकसभा में दो निजी विधेयक प्रस्तुत किया था।
सिंह ने कहा, "हम चाहते हैं कि सरकार किसानों के लिए इन दोनों विधेयकों को पारित करे।"
एआईकेएससीसी ने कहा कि 21 राजनीतिक दलों ने विधेयक को अपना समर्थन दिया है और उनके प्रतिनिधि भी शुक्रवार के विरोध प्रदर्शन में शामिल होंगे।
वाम दलों से संबद्ध ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के नेता अशोक धावले ने कहा कि निजी विधेयक को लेकर पिछले एक साल से सरकार ने कुछ नहीं किया है।
धावले ने कहा, "अब तक देश में 3.5 लाख से ज्यादा किसान आत्महत्या कर चुके हैं। हमने किसानों की इससे अधिक बुरी हालत कभी नहीं देखी है। अब कृषि मंत्रालय भी कह रहा है कि नोटबंदी का किसानों पर बुरा असर पड़ा है।"
सामाजिक कार्यकर्ता मेघा पाटकर, वन रैंक वन पेंशन की मांग के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह और जानेमाने पत्रकार पी. साईंनाथ भी इस विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं।
साईंनाथ ने कहा कि जीएसटी को लेकर शार्ट नोटिस पर संसद का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है, लेकिन स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट 2006 से ही धूल फांक रही है और अभी तक उस पर संसद में बहस तक नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा, "सरकार ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े जारी करना बंद कर दिए हैं। यह केवल किसानी का संकट नहीं है, बल्कि उससे अधिक है। यह अब राष्ट्रीय संकट बन चुका है। हमें किसानों के साथ एकजुटता दिखानी होगी।"
एआईकेएससीसी की मांग है कि स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों के आधार पर 23 कृषि वस्तुओं के लिए 'सी2' लागत कारक को ध्यान में रखकर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए। इसने कम मूल्य मिलने का हवाला देते हुए सरकार के 'ए2 प्लस एफएल' फार्मूले पर आपत्ति जताई है।
सतबीर सिंह ने कहा कि उनका संगठन किसानों का समर्थन करता है, क्योंकि 70 से 80 फीसदी फौजी किसानों के बेटे हैं।
एआईकेएससीसी के नेता ने कहा कि किसानों को दिल्ली लाने के लिए दो विशेष ट्रेनों का प्रबंध किया गया है, जो महाराष्ट्र के मिराज से और बेंगलुरू से चलेगी।
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)