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राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डीजल टैक्सी बैन करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ सोमवार को भारी रोष दिखा.
इस प्रतिबंध के विरोध में टैक्सी चालकों ने पश्चिमी दिल्ली, गुड़गांव हाइवे और नोएडा-दिल्ली को जोड़ने वाले डीएनडी बाइपास पर जमकर प्रदर्शन किया, जिस वजह से काफी वक्त तक इन इलाकों में यातायात बाधित रहा.
दिल्ली परिवहन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें, तो दिल्ली में 60,000 टैक्सी रजिस्टर्ड हैं, जिनमें 27,000 टैक्सी डीजल पर चल रही थीं. इन वाहनों को डीजल से सीएनजी में तब्दील करना भी संभव नहीं है. ऐसे में टैक्सी संचालक कोर्ट के इस आदेश को उनके रोजगार की हत्या बता रहे हैं और इस आदेश के विरोध में आत्महत्या करने तक की चेतावनी दे चुके हैं.
सभी टैक्सी ऑपरेटर यह मान रहे हैं कि कोर्ट के इस आदेश का असर ‘उबर’ और ‘ओला’ जैसी कैब सर्विस दे रही कंपनियों से ज्यादा साधारण टैक्सी सर्विस देने वाली कंपनियों पर पड़ेगा, जिसकी मार से बच पाना इस आदेश के बाद संभव नहीं रह गया है.
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट अपने इस फैसले पर अडिग दिख रहा है और टैक्सी संचालकों को अपने वाहन CNG (कॉम्प्रेस्ड नेचुरल गैस) चालित कराने के लिए और अधिक समय देने से इनकार कर चुका है. इस हिसाब से पहली मई से दिल्ली व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में डीजल ईंधन वाली टैक्सियों के लाइसेंस बंद कर दिए गए हैं. इसके विरोध में टैक्सी चालकों ने सोमवार को दिल्ली के कई फ्लाईओवर जाम कर दिए.
ऑड-ईवन फॉर्मूले के समाप्त होने और दिल्ली में डीजल टैक्सी पर प्रतिबंध लागू होने के एक दिन बाद पर्यावरणविद सुनीता नारायण ने कहा था कि प्रदूषण कम करने के लिए डीजल टैक्सी सर्विस रोक देना पर्याप्त नहीं हैं.
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2000 में डीजल टैक्सी पर प्रतिबंध लगाया था और आदेश दिया था कि दिल्ली में सिर्फ सीएनजी टैक्सी चल सकती हैं. अब अदालत ने सिर्फ अपना पुराना आदेश दोहराया है और उसे एनसीआर तक विस्तारित किया है, जहां सीएनजी उपलब्ध है. दिल्ली एनसीआर में 70 स्टेशन लगाए गए हैं. यह आपात स्थिति में उठाया जाने वाला कदम है और प्रदूषण का कोई स्थाई उपाय नहीं है.
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