advertisement
राजस्थान के दौसा में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना के विरोध में शनिवार को झारखंड के सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल्स के डॉक्टर हड़ताल पर रहे। डॉक्टरों ने ओपीडी का पूरी तरह बहिष्कार किया। इस वजह से पूरे राज्य में मरीजों को बगैर इलाज लौटना पड़ा।
हालांकि हॉस्पिटल्स के इनडोर और इमरजेंसी में गंभीर मरीजों के इलाज की सेवा जारी रही। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन झारखंड इकाई और झारखंड हेल्थ सर्विस एसोसिएशन के आह्वान पर कार्य बहिष्कार करने वाले डॉक्टरों ने अर्चना शर्मा की मौत के मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने और झारखंड सहित पूरे देश में मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने की मांग की। रांची, हजारीबाग, जमशेदपुर, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह सहित राज्य के विभिन्न जिलों में डॉक्टरों ने इस मांग को लेकर अपनी एकजुटता भी प्रदर्शित की। एक भी मरीज को नहीं देखा। रांची के रिम्स से लेकर सदर हॉस्पिटल में काफी संख्या में मरीज इलाज के लिए पहुंचे थे। लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी। प्राइवेट हॉस्पिटल में आने वाले मरीजों को भी बाहर से लौटा दिया गया।
राज्य के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल रिम्स में सुबह से ही डॉक्टर ओपीडी का बहिष्कार कर अधीक्षक कार्यालय के पास जमा हो गए और अपनी मांग के समर्थन में नारेबाजी की। जमशेदपुर में डॉक्टरों ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष धरना दिया।
बताते चलें कि राजस्थान के दौसा जिले में एक मरीज की मौत के बाद हंगामे और पुलिस प्रशासन की कार्रवाई से आहत होकर डॉ अर्चना ने आत्महत्या कर ली थी। वह मूल रूप से रांची की रहने वाली थीं और रिम्स में 1998 के एमबीबीएस बैच की गोल्ड मेडलिस्ट थीं। इस घटना के बाद से ही चिकित्सा सेवा से जुड़े लोग पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं।
--आईएएनएस
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)