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डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, कपड़ा यूनियनों के प्रतिनिधियों ने कहा कि मौजूदा सरकार के पास कपड़ा उत्पादकों और निर्यातकों के लिए कोई नीति नहीं है।
उद्योग बंद होने के कगार पर है क्योंकि कई इकाइयां पहले ही बंद हो चुकी हैं। कई अन्य कंपनियां या तो अपना उत्पादन बंद करने या विदेशों में स्थानांतरित करने की योजना बना रही हैं।
टेक्सटाइल फैक्ट्रियों को जरूरी कच्चे माल और एक्सेसरीज से वंचित किया जा रहा है।
कम से कम 5,000 डॉलर मूल्य के लेटर ऑफ क्रेडिट को अस्वीकार किया जा रहा है, जिससे प्रति खेप 500,000 डॉलर के निर्यात ऑर्डर प्रभावित हुए हैं।
संघों ने कहा कि यह गंभीर व्यवधान और उत्पादन में देरी का कारण बन रहा है और इसके कारण निर्यात ऑर्डर रद्द हो गए हैं। विभिन्न खेपों पर विलंब शुल्क ने लागत बहुत अधिक बढ़ा दी है।
उन्होंने बताया कि इतनी कठिन परिस्थिति के बावजूद सरकार कैबिनेट सदस्यों के लिए बीएमडब्ल्यू जैसी महंगी लग्जरी कारें खरीद रही है। इन आयातों का विदेशी मुद्रा अर्जन में कोई योगदान नहीं होगा। वे राष्ट्रीय खजाने के लिए कोई कर उत्पन्न नहीं करेंगे और शून्य रोजगार सृजित करेंगे।
उन्होंने कहा कि पिछले नौ महीनों में सरकार का प्रदर्शन खराब रहा है। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान दो वित्त मंत्री मौजूदा आर्थिक संकट को हल करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि न तो प्रधानमंत्री और न ही वित्त मंत्री ने निर्यातकों से मिलने के लिए कुछ समय निकालने की जहमत उठाई है।
डॉन न्यूज ने संघों के हवाले से कहा कि औद्योगिक क्षेत्र अत्यधिक वित्तीय दबाव में काम नहीं कर सकता। डिफॉल्ट के लिए खतरे की घंटी लगातार बज रही है, जबकि सरकार की वित्त और आर्थिक टीम सो रही है।
देश डॉलर संकट से जूझ रहा है और अर्थव्यवस्था आपात स्थिति जैसी स्थिति का सामना कर रही है।
निर्यात को बढ़ावा देकर ही डॉलर की मौजूदा कमी को दूर किया जा सकता है।
--आईएएनएस
एसकेके/एसकेपी
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