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टोरंटो, 28 मई (आईएएनएस)| मानव पैपिलोमा वायरस (एचपीवी4) का टीकाकरण लड़कियों में ऑटोइम्यून (स्व-प्रतिरक्षित) विकारों के जोखिम से नहीं जुड़ा हुआ है। मानव पैपिलोमा वायरस दुनिया भर में यौन संक्रमण से होने वाली सबसे आम बीमारी है। इससे 50 से 75 फीसदी यौन सक्रिय लोग प्रभावित हैं।
एचपीवी4 टीका 90 फीसदी स्ट्रेन के खिलाफ रक्षा करने में प्रभावी है, जिसकी वजह से ग्रीव व गुदा कैंसर होता है।
कई शोधों में टीके से सुरक्षा का संकेत दिया गया है, लेकिन इसके ऑटोइम्यून विकारों जैसे ल्यूपस, रूमेटाइड गठिया व टाइप1 मधुमेह व मल्टीपल स्कीलिरोसिस से जुड़े होने की संभावना को लेकर चिंता है।
कनाडा के गैर लाभकारी संस्थान, इंस्टीट्यूट फॉर क्लिनिकल इवैल्यूएटिव साइंसेज (आईसीईएस) के वरिष्ठ वैज्ञानिकी जेफरी क्वांग ने कहा, दुनिया के हालात में प्रभावी प्रदर्शन के बावजूद एचपीवी4 टीके की सुरक्षा के मद्देनजर चिंता बनी हुई है। इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए हम एचपीवी4 टीकारण पर शोध करना चाहते थे।
इस शोध का प्रकाश सीएमएजे (कनाडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल) में किया गया है। इसमें शोध दल ने 290,939 लड़कियों के आंकड़ों का अध्ययन किया, जिनकी आयु 12 से 17 साल है।
इसमें स्कूल के क्लीनिक में 180,819 लड़कियों को एचपीवी4 टीकाकरण किया गया। इसमें टीकाकरण के एक हफ्ते व दो महीने के बीच में 681 ऑटोइम्यून के विकारों के मामलों की पहचान की गई।
यह दर इस आयु वर्ग में पहचान किए गए मामलों की सामान्य दर के अनुरूप है और शरीर के लिए टीके को सुरक्षित बताती है।
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
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