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कोरोनावायरस (Coronavirus) की वजह से भले ही बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन सिमट गई है, लेकिन अब भी बच्चों के पैरेंट्स पुराने एजुकेशन सिस्टम को ही पसंद करते हैं. B2B2C सर्वे-बेस्ड कंस्लटिंग फर्म ने एक सर्वे किया है, जिसमें करीब 5 हजार लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें पैरेंट्स, छात्र और 70 फीसदी शिक्षाविद शामिल हुए. इस सर्वे में करीब 93 फीसदी लोगों ने यही माना कि बच्चों के पढ़ाई के लिए पारंपरिक तरीका ही सही है. जिसमें बच्चों का स्कूल में जाकर पढ़ना लिखना सबसे सही तरीका है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सर्वे में यह सामने आया है कि 33 फीसदी माता-पिता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वर्चुअल लर्निंग (Virtual Learning) से बच्चों के सीखने और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.
सर्वे में यह भी बताया गया है कि 67 फीसदी बच्चों को धीमी इंटरनेट कनेक्टिविटी के कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. साथ ही बच्चों के लिए निर्धारित स्थान की कमी भी अच्छा प्रदर्शन करने से रोकती है.
Feedback Insight India के प्रबंध निदेशक एस.चन्द्रमौली ने कहा शिक्षा ऑनलाइन प्रणाली के लिए मोबाइल का प्रयोग सुविधा के साथ-साथ एक अभिशाप भी है. हालांकि यह प्रक्रिया चलती रहेगी, लेकिन यह एक स्वस्थ विकल्प नहीं है. इस मामले में शिक्षा मंत्रालय, शिक्षाविदों और ओपिनियन बनाने वालों को एक बेहतर बुनियादी ढांचा बनाने के लिए साथ आना चाहिए.
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