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CBSE परीक्षा लेट, क्यों प्राइवेट यूनि. में एडमिशन पर खास असर नहीं

CBSE बोर्ड परीक्षाएं इस साल कोरोना वायरस महामारी के चलते मई में शुरू होने जा रही हैं.  

एंथनी रोजारियो
शिक्षा
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सांकेतिक तस्वीर
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सांकेतिक तस्वीर
(फोटो: iStock)

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इस साल सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (CBSE) की ओर से कराए जाने वाली स्कूल परीक्षाओं में देरी होने से पब्लिक यूनिवर्सिटीज से जुड़े कॉलेजों के एडमिशन्स पर असर हो सकता है, लेकिन प्राइवेट यूनिवर्सिटीज के मामले में इसका खास असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि ये आम तौर पर अपने सेलेक्शन प्रोसेस पर निर्भर होती हैं.

आम हालात में फरवरी और मार्च में होने वाली CBSE बोर्ड परीक्षाएं इस साल कोरोना वायरस महामारी के चलते मई में शुरू होने जा रही हैं.  

इस फैसले का ऐलान 31 दिसंबर 2020 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने किया था, जिन्होंने कहा था कि 2021 की CBSE बोर्ड परीक्षाएं 4 मई से 10 जून तक होंगी, इनके नतीजे 15 जुलाई तक घोषित किए जाएंगे.

दिल्ली यूनिवर्सिटी

देरी से होने वाली बोर्ड परीक्षाओं से दिल्ली यूनिवर्सिटी (DU) जैसी पब्लिक यूनिवर्सिटीज के एडमिशन्स में देरी हो सकती है, जहां बड़ी संख्या में कोर्सों के कट-ऑफ पूरी तरह बोर्ड परीक्षाओं में आए नंबरों के आधार पर तय किए जाते हैं.

DU के एक अधिकारी के मुताबिक, रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बोर्ड एग्जाम के नतीजे घोषित होने से पहले शुरू हो सकती है, जिसमें छात्र ऑनलाइन बेसिक डीटेल्स भर सकते हैं.

‘’अगर छात्र रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया पूरी करते हैं और परीक्षाओं के नतीजे घोषित होने के बाद सिर्फ नंबर ही दर्ज करते हैं, तो पहली कट-ऑफ लिस्ट आने में 15-20 दिन का वक्त लगना चाहिए.’’
DU अधिकारी

हालांकि, अधिकारी ने बताया कि अब तक एडमिशन की तारीखें तय नहीं की गई हैं, क्योंकि DU उम्मीद कर रहा है कि शिक्षा मंत्रालय कॉमन एंट्रेस टेस्ट पर कोई फैसला करे.

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मुंबई यूनिवर्सिटी

DU की तरह ही मुंबई यूनिवर्सिटी (MU) भी बोर्ड परीक्षाओं के नतीजों का इंतजार कर रही है. हालांकि, MU में एडमिशन की प्रक्रिया सिर्फ CBSE पर ही निर्भर नहीं है, बल्कि 12वीं क्लास के सीनियर सेकेंडरी सर्टिफिकेट (SSC) एग्जाम्स पर भी है, जिसे राज्य के बोर्ड की ओर से कराया जाता है. बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स एंड इवेल्यूशन के डायरेक्टर विनोद पाटिल ने यह जानकारी दी.

महाराष्ट्र की स्कूल शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने कहा है कि SSC परीक्षाएं 1 मई से शुरू हो सकती हैं, लेकिन इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि इनके नतीजे कब घोषित किए जाएंगे.

‘’आमतौर पर, SSC बोर्ड के नतीजे मई के आखिर में आते हैं और एडमिशन की प्रक्रिया जून में शुरू होती है. इस साल हम केवल बोर्ड के नतीजे घोषित होने के बाद की तारीखों के बारे में बात कर सकते हैं.’’
विनोद पाटिल, डायरेक्टर, बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स एंड इवेल्यूशन 

साल 2020 में एडमिशन अगस्त तक डिले हुए थे, जबकि कुछ कोर्स के एडमिशन अभी भी जारी हैं.

प्राइवेट यूनिवर्सिटीज पर कोई बड़ा असर नहीं

शिव नादर यूनिवर्सिटी (SNU) के एक प्रवक्ता ने बताया कि UG कोर्सों में दाखिला चाहने वाले सभी छात्रों को एलिजिबिलिटी के तौर पर बोर्ड परीक्षाओं में कम से कम एक तय स्कोर करना होता है, लेकिन स्कूल स्तर पर आए उनके नंबरों का वेटेज कॉलेज की ओर से पब्लिश किए जाने वाली मेरिट लिस्ट में नहीं होता है.

ऐसे में बोर्ड एग्जाम में देरी से एडमिशन पर खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि छात्रों को एंट्रेस टेस्ट के आधार पर स्वीकार किया जाता है.

SNU प्रवक्ता ने बताया, बोर्ड के नंबरों पर निर्भर रहने के बजाए, यूनिवर्सिटी खुद का एंट्रेस टेस्ट SNU-SAT आयोजित करती है, साथ ही वो JEE मेन, SAT और ACT के स्कोर को भी एडमिशन के लिए स्वीकार करती है.

अगर छात्र इन एडमिशन प्रक्रियाओं में सफलता हासिल कर लेते हैं और तब तक बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे घोषित नहीं होते हैं, तो उनको प्रोविजनल बेसिस पर एडमिशन दिया जा सकता है. हालांकि, एडमिशन की पुष्टि तभी होगी, जब छात्र बोर्ड परीक्षा में कम से कम तय सीमा के एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया को पूरा करते हुए नंबर लाएंगे.

एमिटी यूनिवर्सिटी में भी, हर प्रोग्राम में अलग-अलग एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया हैं, जो बोर्ड परीक्षा में लाए गए नंबरों पर आधारित हैं. एडमिशन्स डायरेक्टर भास्कर चक्रवर्ती ने यह जानकारी दी.

‘’इंजीनियरिंग के लिए छात्र को PCM में 60 फीसदी स्कोर करना ही होगा, इकनॉमिक्स ऑनर्स के लिए इकनॉमिक्स में 70 फीसदी स्कोर के अलावा छात्र को 60 फीसदी एग्रीगेट हासिल करना होगा.’’
भास्कर चक्रवर्ती, डायरेक्टर, एडमिशन्स

हालांकि, बोर्ड परीक्षाओं के नतीजे घोषित होने से पहले छात्र यूनिवर्सिटी में प्रोविजनल एडमिशन ले सकते हैं. कुछ मामलों में छात्रों से किन्ही 3 सवालों के वीडियो भेजने के लिए कहा जाएगा, जबकि बाकी में, इंटरव्यू किए जाएंगे.

इसके बाद उनको यूनिवर्सिटी की ओर से, इन वीडियो या इंटरव्यू के प्रदर्शन के आधार पर नंबर दिए जाएंगे, जिसके आधार पर मेरिट लिस्ट बनाई जाएगी. हालांकि, बोर्ड नतीजे घोषित होने के बाद छात्रों को एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पूरा करना होगा.

चक्रवती ने साफ किया कि बोर्ड परीक्षाओं में 80 फीसदी से ऊपर स्कोर करने वाले छात्रों को इन नतीजों के आधार पर सीधे प्रवेश मिलता है, जबकि 90 फीसदी से ऊपर स्कोर करने वाले छात्रों को स्कॉलशिप दी जाती है.

एमिटी, जो आम तौर पर जुलाई तक एडमिशन की प्रक्रिया पूरी कर लेती है, 2021 में एक महीने की देरी की संभावना जता रही है.

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