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कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी (CET) अब हिंदी और अंग्रेजी में ही नहीं, बल्कि अन्य 10 भारतीय भाषाओं में भी आयोजित करने की योजना बना रही है. इससे ऐसे युवाओं को बराबर अवसर प्राप्त होंगे, जो बैंकिंग, कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) और रेलवे जैसी नौकरियों की तैयारी करते हैं.
कार्मिक मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं के लिए सीईटी या सामान्य पात्रता परीक्षा के दायरे को धीरे-धीरे विस्तारित करने की योजना है.
भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं. जानकारी के अनुसार, सीईटी परीक्षा शुरू में 12 भाषाओं के साथ शुरू होगी और फिर इसकी परीक्षा प्रक्रिया के भाग के रूप में अन्य भाषाओं को शामिल किया जाएगा.
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश नौकरी के चयन के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) द्वारा आयोजित की जाने वाली सामान्य पात्रता परीक्षा का लाभ उठा सकते हैं, जिसके लिए निर्णय बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पारित किया गया था.
एक योजना यह भी है कि सीईटी स्कोर राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) और बाद में निजी क्षेत्र के साथ भर्ती एजेंसियों के साथ साझा किया जाएगा. कार्मिक मंत्रालय ने भी शनिवार को एक बयान में इसकी पुष्टि की.
इस मुद्दे पर केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के बयान का हवाला देते हुए मंत्रालय ने कहा कि सीईटी वास्तव में भर्ती पर खर्च होने वाली लागत और समय को बचाने के लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों सहित भर्ती एजेंसियों की मदद करेगी. इसके साथ ही यह नौकरी के इच्छुक युवाओं के लिए भी सुविधाजनक और लागत प्रभावी होगी.
सरकार की योजना के हिस्से के रूप में, इन एजेंसियों और इन संगठनों द्वारा सीईटी स्कोर का उपयोग करने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओयू) के रूप में एक व्यवस्था रखी जा सकती है. वहीं मंत्रालय का भी कहना है कि सीईटी नियोक्ता (एम्पलोयर) और कर्मचारी दोनों के लिए बेहतर व्यवस्था साबित कर सकती है.
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) और मंत्री जितेंद्र सिंह कई राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के संपर्क में हैं, जिन्होंने सीईटी स्कोर की साझा व्यवस्था का हिस्सा बनने के लिए अपनी रुचि व्यक्त की है.
पता चला है कि अधिकांश मुख्यमंत्री भी इसे लेकर काफी उत्साही हैं और इस सुधार को अपनाने के पक्ष में हैं, जिसे केंद्र सरकार एक क्रांतिकारी निर्णय कहती है. इसका उद्देश्य संघर्षरत युवाओं के लिए जीवनयापन में आसानी लाना और नौकरी के इच्छुक युवाओं के लिए एक बड़ा सुधार करना है.
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