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कॉमन युनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET UG) देश भर के अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए 15 जुलाई से 30 अगस्त के बीच 489 केंद्रों में आयोजित किया गया था. चूंकि छात्रों के पास चुनने के लिए कई विषय थे और वे अलग-अलग तारीखों पर इन परीक्षाओं में बैठे थे, लेकिन सवाल यह उठता है कि रिजल्ट को कैसे केलकुलेट किया जाएगा और किस आधार पर छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा.
इंडियन एक्सप्रेस में यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) के चेयरपर्सन जगदीश कुमार ममीडाला ने लिखा है कि इक्विपरसेंटाइल मेथड (Equipercentile) का इस्तेमाल किया जाएगा.
छात्र अपने रिपोर्ट कार्ड में क्या उम्मीद कर सकते हैं?
छात्रों को उनके रिपोर्ट कार्ड पर उनके पर्सेंटाइल के साथ-साथ उनके द्वारा प्राप्त किए गए अंक भी लिखे होंगे.
इक्विपरसेंटाइल (Equipercentile) मेथड क्या है?
इस बार परीक्षा अलग-अलग तारीखों में और हर विषय के लिए कई सेशन में आयोजित की गई है इसलिए पर्सेंटाइल मेथड का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा.
इक्विपरसेंटाइल मेथड में पहले हर कैंडिडेट को नॉर्मलाइजेशन के आधार पर नंबर दिए जाते हैं. इसमें हर छात्र के अंकों को एक सेशन में स्टूडेंट्स के पूरे ग्रुप के परसेंटाइल से कैलकुलेट किया जाता है. इक्विपरसेंटाइल मेथड में यही स्केल सभी छात्रों के लिए लागू किया जाता है, लेकिन इसमें सेशन (जिसमें छात्र ने परीक्षा दी है) की कोई भूमिका नहीं होती. ऐसा इसलिए ताकि छात्रों के परफॉर्मेंस उनके सब्जेक्ट में सभी सेशन में ओवरऑल आंकी जा सके.
फिर एडमिशन कैसे तय किया जाएगा?
एक निश्चित विषय में कई सेशन में नॉर्मलाइज्ड मार्क्स का वैसे ही इस्तेमाल किया जाएगा जैसे कि इससे पहले बोर्ड एडमिशन देने के लिए उपयोग करता था.
अलग-अलग युनिवर्सिटीज छात्रों को कैसे एडमिशन देंगी?
छात्र अपने मार्क्स का उपयोग कर युनिवर्सिटीज में आवेदन कर सकेंगे. फिर युनिवर्सिटी नॉर्मलाइज्ड मार्क्स का उपयोग कर रैंक लिस्ट तैयार करेगी और इसी के आधार पर छात्रों को एडमिशन दिया जाएगा.
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