Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019Education Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019बच्चों को कोविड का कम खतरा, तो क्यों दिल्ली में अभी भी बंद हैं स्कूल?

बच्चों को कोविड का कम खतरा, तो क्यों दिल्ली में अभी भी बंद हैं स्कूल?

27 जनवरी को DDMA ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला अगली बैठक में लिया जाएगा.

आश्ना भूटानी
शिक्षा
Updated:
<div class="paragraphs"><p>अभिभावकों की मांग, दिल्ली में खोले जाएं स्कूल</p></div>
i

अभिभावकों की मांग, दिल्ली में खोले जाएं स्कूल

(फोटो: क्विंट हिंदी)

advertisement

कोरोना वायरस (COVID-19) के दैनिक मामलों में कमी आने के बाद, जहां देशभर में हालात सामान्य होने लगे हैं, तो वहीं राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को अभी भी बंद रखा गया है.

27 जनवरी को, दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता में हुई बैठक के बाद, दिल्ली डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (DDMA) ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलने का फैसला इसकी अगली बैठक में लिया जाएगा.

DDMA का ये बयान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जो राज्य के शिक्षा मंत्री भी हैं, के स्कूलों को फिर से खोलने की वकालत करने के एक दिन बाद आया है. 16 जनवरी को एक ट्वीट में, मंत्री ने कहा कि महामारी एक्सपर्ट और पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ चंद्रकांत लहरिया और भारतीय थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीईओ-अध्यक्ष यामिनी अय्यर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात की. उन्होंने स्कूलों को फिर से खोलने के लिए 1,600 से अधिक अभिभावकों के हस्ताक्षर के साथ एक ज्ञापन सौंपा.

स्कूलों को फिर खोलने के पीछे एक्सपर्ट की राय

क्विंट से बात करते हुए, डॉ लहरिया ने स्कूलों को फिर से खोलने के कई कारणों का हवाला दिया.

"पहली लहर के दौरान, हमें वायरस की ज्यादा समझ नहीं थी. अब, हम जानते हैं कि बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम कम होता है. डेटा ने हमें दिखाया है कि बच्चों पर असमान रूप से प्रभाव नहीं पड़ेगा."
डॉ चंद्रकांत लहरिया

डॉ लहरिया ने कहा कि हालांकि, इसमें एक रिस्क फैक्टर शामिल है, "स्कूलों को फिर से खोलने का फायदा, उन्हें बंद रखने से कहीं ज्यादा है." इसके अलावा, उन्होंने कहा कि परिवार के दूसरे सदस्य घर से बाहर जा रहे हैं, और इसलिए, केवल स्कूलों को बंद रखने का कोई मतलब नहीं है.

मार्च 2020 में बंद होने के बाद, दिल्ली में पहली बार सभी कक्षाओं के लिए स्कूल नवंबर में खुले थे, लेकिन दो हफ्ते बाद इन्हें फिर बंद कर दिया गया, लेकिन इस बार कारण था- प्रदूषण. इसके बाद कक्षा 6 और इसके ऊपर की सभी कक्षाएं 18 दिसंबर से शुरू की गईं. लेकिन एक बार फिर, 28 दिसंबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोविड के बढ़ते पॉजिटिविटी रेट को देखते हुए येलो अलर्ट घोषित कर दिया, जिसके बाद सभी स्कूल और शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए.

डॉ लहरिया ने आगे कोविड मामलों में गिरावट के बावजूद दिल्ली में हाई पॉजिटिविटी रेट के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि जितने ज्यादा लक्षण वाले लोगों की टेस्टिंग होगी, उतना पॉजिटिविटी रेट ज्यादा रहने की उम्मीद है, भले ही तीसरी लहर कमजोर पड़ जाए.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT
पिछले कुछ हफ्तों में, पूरे शहर के अभिभावकों ने एक ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें स्कूलों को फिर से खोलने की मांग की गई थी. यामिनी अय्यर ने क्विंट को बताया कि वो अभिभावकों के प्रतिनिधि के रूप में मंत्री से मिले थे.

उन्होंने कहा, "हमारा केस यही है कि दिल्ली के स्कूल बंद हुए लगभग दो साल हो गए हैं. ये सबसे लंबा स्कूल बंद है... युगांडा में सबसे लंबा स्कूल बंद था, लेकिन वहां 10 जनवरी को स्कूल खुल गए."

"हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए कि ये अंतिम उपाय है, न कि पहला. इस बात के बहुत कम वैज्ञानिक प्रमाण हैं कि स्कूल बंद होने से फायदा होता है, और ये दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि स्कूलों को फिर से खोलना जरूरी है."
यामिनी अय्यर, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की अध्यक्ष, और एक पेरेंट

'स्कूलों के बंद होने से छूट रही पढ़ाई'

इस ग्रुप में शामिल, वकील और एक पेरेंट, तान्या अग्रवाल ने कहा कि ज्ञापन में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कैसे बच्चों का नुकसान हो रहा है.

उन्होंने कहा कि बच्चों का दूसरे बच्चों के बीच रहना जरूरी है, और स्कूल इसके लिए काफी जरूरी हैं. उन्होंने क्विंट से अपने बेटे के बारे में बात करते हुए कहा, "उसने 4 से 6 साल की उम्र स्क्रीन के सामने गुजारी. इतने छोटे बच्चे के लिए बिना स्कूल जाए ये समझना मुश्किल है कि कैसे पढ़ा और लिखा जाता है. स्कूल एक कारण से बने हैं. अगर मुझे स्कूल का महौल बनाना पड़ रहा है, तो ये अपने आप में एक फुल-टाइम जॉब है."

उन्होंने आगे बताया कि ऑनलाइन लर्निंग को सपोर्ट करने के लिए सभी अभिभावकों के पास ट्यूशन रखने की क्षमता नहीं है, और कई के पास पहले तो ऑनलाइन क्लास के लिए जरूरी डिवाइस नहीं हैं.

'शिक्षा होनी चाहिए प्राथमिकता'

जब ग्रुप शिक्षा मंत्री सिसोदिया से मिला, तो उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और सार्वजनिक रूप से कहा कि वो स्कूलों को फिर से खोलने के पक्ष में हैं. हालांकि, इसका रिजल्ट वो नहीं रहा जिसकी अभिभावकों ने उम्मीद की थी.

अय्यर ने कहा, "उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि वो इस बात पर हमारे साथ सहमत हैं कि हम एक पूरी पीढ़ी को खो रहे हैं. लेकिन साथ ही, मैं सरकार की फैसले लेने की प्रक्रिया की जटिलताओं को समझती हूं."

"उन्होंने सोचा कि 200 लोगों के साथ शादी, स्कूलों को फिर से खोलने से ज्यादा अहम है."
यामिनी अय्यर, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च की अध्यक्ष, और एक पेरेंट

ग्रुप में मौजूद एक सूत्र ने कहा, "मंत्री उस समय सपोर्ट में लग रहे थे. अब मुद्दा ये है कि इन बैठकों में वो किन एक्सपर्ट से सलाह लेते हैं? रुकावट कौन है? हम नहीं जानते और केवल मान सकते हैं..."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 28 Jan 2022,02:12 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT