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कोरोना वायरस (COVID-19) के दैनिक मामलों में कमी आने के बाद, जहां देशभर में हालात सामान्य होने लगे हैं, तो वहीं राष्ट्रीय राजधानी में स्कूलों को अभी भी बंद रखा गया है.
DDMA का ये बयान दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, जो राज्य के शिक्षा मंत्री भी हैं, के स्कूलों को फिर से खोलने की वकालत करने के एक दिन बाद आया है. 16 जनवरी को एक ट्वीट में, मंत्री ने कहा कि महामारी एक्सपर्ट और पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ चंद्रकांत लहरिया और भारतीय थिंक टैंक सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के सीईओ-अध्यक्ष यामिनी अय्यर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने उनसे मुलाकात की. उन्होंने स्कूलों को फिर से खोलने के लिए 1,600 से अधिक अभिभावकों के हस्ताक्षर के साथ एक ज्ञापन सौंपा.
क्विंट से बात करते हुए, डॉ लहरिया ने स्कूलों को फिर से खोलने के कई कारणों का हवाला दिया.
डॉ लहरिया ने कहा कि हालांकि, इसमें एक रिस्क फैक्टर शामिल है, "स्कूलों को फिर से खोलने का फायदा, उन्हें बंद रखने से कहीं ज्यादा है." इसके अलावा, उन्होंने कहा कि परिवार के दूसरे सदस्य घर से बाहर जा रहे हैं, और इसलिए, केवल स्कूलों को बंद रखने का कोई मतलब नहीं है.
मार्च 2020 में बंद होने के बाद, दिल्ली में पहली बार सभी कक्षाओं के लिए स्कूल नवंबर में खुले थे, लेकिन दो हफ्ते बाद इन्हें फिर बंद कर दिया गया, लेकिन इस बार कारण था- प्रदूषण. इसके बाद कक्षा 6 और इसके ऊपर की सभी कक्षाएं 18 दिसंबर से शुरू की गईं. लेकिन एक बार फिर, 28 दिसंबर को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कोविड के बढ़ते पॉजिटिविटी रेट को देखते हुए येलो अलर्ट घोषित कर दिया, जिसके बाद सभी स्कूल और शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए.
डॉ लहरिया ने आगे कोविड मामलों में गिरावट के बावजूद दिल्ली में हाई पॉजिटिविटी रेट के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि जितने ज्यादा लक्षण वाले लोगों की टेस्टिंग होगी, उतना पॉजिटिविटी रेट ज्यादा रहने की उम्मीद है, भले ही तीसरी लहर कमजोर पड़ जाए.
उन्होंने कहा, "हमारा केस यही है कि दिल्ली के स्कूल बंद हुए लगभग दो साल हो गए हैं. ये सबसे लंबा स्कूल बंद है... युगांडा में सबसे लंबा स्कूल बंद था, लेकिन वहां 10 जनवरी को स्कूल खुल गए."
इस ग्रुप में शामिल, वकील और एक पेरेंट, तान्या अग्रवाल ने कहा कि ज्ञापन में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कैसे बच्चों का नुकसान हो रहा है.
उन्होंने कहा कि बच्चों का दूसरे बच्चों के बीच रहना जरूरी है, और स्कूल इसके लिए काफी जरूरी हैं. उन्होंने क्विंट से अपने बेटे के बारे में बात करते हुए कहा, "उसने 4 से 6 साल की उम्र स्क्रीन के सामने गुजारी. इतने छोटे बच्चे के लिए बिना स्कूल जाए ये समझना मुश्किल है कि कैसे पढ़ा और लिखा जाता है. स्कूल एक कारण से बने हैं. अगर मुझे स्कूल का महौल बनाना पड़ रहा है, तो ये अपने आप में एक फुल-टाइम जॉब है."
जब ग्रुप शिक्षा मंत्री सिसोदिया से मिला, तो उन्होंने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी और सार्वजनिक रूप से कहा कि वो स्कूलों को फिर से खोलने के पक्ष में हैं. हालांकि, इसका रिजल्ट वो नहीं रहा जिसकी अभिभावकों ने उम्मीद की थी.
अय्यर ने कहा, "उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि वो इस बात पर हमारे साथ सहमत हैं कि हम एक पूरी पीढ़ी को खो रहे हैं. लेकिन साथ ही, मैं सरकार की फैसले लेने की प्रक्रिया की जटिलताओं को समझती हूं."
ग्रुप में मौजूद एक सूत्र ने कहा, "मंत्री उस समय सपोर्ट में लग रहे थे. अब मुद्दा ये है कि इन बैठकों में वो किन एक्सपर्ट से सलाह लेते हैं? रुकावट कौन है? हम नहीं जानते और केवल मान सकते हैं..."
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