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विभिन्न राज्य 15 अक्टूबर के बाद मौजूदा स्थिति को देखते हुए स्कूल खोलने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं. इसी को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने स्कूल खोले जाने को लेकर एक एसओपी तैयारी की है. एसओपी का पहला हिस्सा स्वास्थ्य, सफाई और सुरक्षा के बारे में है. दूसरे हिस्से में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए पढ़ने-पढ़ाने पर जोर दिया गया है.
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि राज्य इस एसओपी का अच्छे से पालन करेंगे. किसी भी छात्र को जबरदस्ती स्कूल नहीं बुलाया जाएगा."
शिक्षा मंत्रालय ने एसओपी जारी करते हुए कहा, "स्कूलों को खोलने के पहले स्कूल के हर हिस्से को अच्छे से साफ और सैनिटाइज करना है. हाथ धोने और डिसइंफेक्शन का प्रबंध करना है. बच्चों के बैठने का प्लान बनाने से लेकर सुरक्षित परिवहन प्लान, कक्षाओं के बीच समय के खास अंतर का प्लान, प्रवेश और निकास के बिंदुओं पर भी सुरक्षा के तमाम प्रबंध, हॉस्टलों में सुरक्षित रहन-सहन के प्रबंध पर भी जोर दिया गया है."
स्कूलों ने एनसीईआरटी के वैकल्पिक अकादमिक कैलेंडर का पालन करने को कहा गया है. मूल्याकंन के दौरान पेन, पेपर टेस्ट की जगह सीख आधारित मूल्याकंन के लिए अलग-अलग फॉर्मेट अपनाने पर जोर दिया है.
स्कूल खुलने के 2 से तीन हफ्ते बाद तक तुरंत किसी तरह के मूल्याकंन की अनुमति नहीं होगी. ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने को भी कहा गया है.
कोरोना की मौजूदा स्थिति को देखते हुए दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने सभी स्कूलों को 31 अक्टूबर तक बंद रखने का निर्णय लिया है.
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