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गुरुवार, 20 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है. कोर्ट ने नेशनल एलिजिबिलिटी कम इन्ट्रेंस टेस्ट (NEET) यूजी और पीजी मेडिकल एडमिशन में ऑल इंडिया कोटा में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए 27 प्रतिशत कोटा को बरकरार रखा है.
7 जनवरी को, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की बेंच ने एक आदेश में ओबीसी रिजर्वेशन की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था और अब मौजूदा एडमिशन प्रोसेस के लिए इस बात का ऐलान किया गया है.
गुरुवार को सुनाए गए फैसले में बेंच ने कहा कि प्रतियोगी परीक्षाएं कुछ वर्गों के लिए आर्थिक सामाजिक लाभ को नहीं दर्शाती हैं. उस योग्यता को सामाजिक रूप से संदर्भित किया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 15(4) और 15(5) वास्तविक समानता के पहलू हैं. प्रतियोगी परीक्षाएँ आर्थिक सामाजिक लाभ को नहीं रिफलेक्ट करती हैं. सभी तरह की योग्यताओं को सामाजिक रूप से प्रासंगिक बनाया जाना चाहिए. आरक्षण योग्यता के विपरीत नहीं है, लेकिन इसका वितरण प्रभाव को बढ़ाता है.
कोर्ट ने कहा कि NEET में ओबीसी को 27 प्रतिशत रिजर्वेशन देने का केंद्र सरकार का फैसला सही है. ये दलीलें नहीं दी जा सकती कि खेलों के नियम तब बनाए गए जब एग्जाम की तारीखें तय कर ली गई थीं.
कोर्ट ने कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए हॉस्पिटल्स में ज्यादा से ज्यादा डॉक्टरों के काम करने की जरूरत पर जोर दिया और कहा कि एलिजिबिलिटी क्वालीफिकेशन में किसी भी बदलाव से एडमिशन प्रोसेस में देरी होगी.
इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने NEET यूजी और पीजी एडमिशन में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और ईडब्ल्यूएस श्रेणी को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाली मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (MCC) की 29 जुलाई, 2021 की अधिसूचना को चुनौती दी थी.
पिछले दिनों केंद्र सरकार ने तीन सदस्यीय कमेटी बनाई थी, जिसमें पूर्व वित्त सचिव अजय भूषण पांडे, सदस्य सचिव आईसीएसएसआर वीके मल्होत्रा और भारत सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल शामिल थे.
कमेटी ने पिछले साल 31 दिसंबर को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए गुजारिश किया था कि 2019 से जारी 8 लाख रूपए की सीमा को बरकरार रखा जाए, लेकिन इसे लागू करने तरीके में कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया.
याचिकाकर्ताओं ने सिफारिश का विरोध करते हुए कहा कि रिपोर्ट इस बात की ओर इशारा करती है कि सरकार ने 2019 में ईडब्ल्यूएस के लिए 8 लाख रुपये की सीमा तय करने से पहले किसी भी तरह की स्टडी नहीं की थी.
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