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नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी एनटीए ने JEE और NEET जैसी प्रतियोगिता परीक्षाएं करवाए जाने को अनिवार्य बताया है. एनटीए के मुताबिक एक एकेडमिक कैलेंडर साल को बचाने के लिए तथा कई उम्मीदवारों के एक साल को बचाने के लिए प्रवेश परीक्षाएं जरूरी हैं. एनटीए ने कहा कि अगर इसे शून्य वर्ष मानते हैं, तो हमारी प्रणाली एक सत्र में दो साल के उम्मीदवारों को कैसे समायोजित कर पाएगी. एनटीए का पूरा प्रयास है कि एक साल की बचत हो, भले ही सत्रों में थोड़ी देरी हो. सर्वोच्च न्यायालय ने भी इन परीक्षाओं को स्थगित करने के संबंध में रिट पिटीशन को खारिज कर दिया है. छात्रों को लंबे और पूर्ण शैक्षणिक वर्ष को बर्बाद नहीं किया जा सकता है.
मौजूदा साल 2020-21 का अकादमिक कैलेंडर भी प्रतिकूल रूप से प्रभावित हुआ है, क्योंकि प्रवेश परीक्षाओं की अनुपस्थिति में, इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई के पहले सेमेस्टर में प्रवेश अब तक नहीं हो सके हैं. इसने छात्रों के एकेडमिक कैरियर पर निगेटिव असर डाला है.
एनटीए के मुताबिक कई निजी संस्थान, विदेशी और अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय, जो इन परीक्षाओं पर निर्भर नहीं हैं, ने वर्चुअल क्लासेज का सहारा लिया है और सेशन शुरू किया है. इस दौर में, एक सेशन की चूक उन छात्रों के लिए नुकसानदेह होगी जो सिस्टम में विश्वास करते हैं और सरकारी कॉलेजों में पढाई करने की इच्छा रखते हैं.
एनटीए के महानिदेशक विनीत जोशी ने कहा, "जेईई परीक्षा कंप्यूटर पर होती है. यहां दो कंप्यूटर के बीच 1 मीटर की दूरी है लेकिन इसके बाद भी हमने ऑड-इवन की व्यवस्था की है. दो शिफ्ट में परीक्षा होगी. सुबह की शिफ्ट में छात्र ऑड नंबर वाले कंप्यूटर और शाम की शिफ्ट में इवन नंबर वाले कंप्यूटर पर बैठकर परीक्षा देंगे."
जोशी ने कहा, "जिन छात्रों को विश्वास नहीं हो पा रहा है, उन बच्चों को मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि परीक्षा के दौरान पूरी सावधानी बरती जाएगी. बचाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा. निर्णय हुआ है कि एक कक्षा में 12 से अधिक छात्र नहीं होंगे. इसके लिए परीक्षा केंद्रों को बढ़ाया गया है. हालांकि किसी बड़े सेंटर को बहुत बड़ा भी नहीं कर सकते, क्योंकि भीड़ को इकट्ठा होने से भी रोकना है."
(इनपुट: IANS)
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