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देशभर में राज्य सरकारें ऑनलाइन परीक्षाएं कराने की पैरवी कर रही हैं और बेरोजगार छात्रों से कम से कम शुल्क वसूले जाने की वकालत करती हैं, मगर आपको यह जानकर अचरज होगा कि मेडिकल एजुकेशन और डेंटल एजुकेशन कॉलेज में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में दाखिले के लिए आयोजित होने वाली परीक्षा 'नीट-2019' (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) के आवेदन शुल्क से नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को 192 करोड़ रुपये से ज्यादा राशि अर्जित हुई है.
देशभर के मेडिकल एजुकेशन और डेंटल एजुकेशन कॉलेज में एमबीबीएस-बीडीएस कोर्स में दाखिले के लिए होने वाली एकल प्रवेश परीक्षा 'नीट-2019' देशभर के विविध शहरों में 5 मई, 2019 को आयोजन किया गया था. इस परीक्षा में भाग लेने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने की प्रक्रिया 1 नवंबर, 2018 से 30 नवंबर, 2018 तक रखी गई थी. इसके लिए सामान्य और अन्य पिछड़ा वर्ग के कैंडिडेट्स के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 1400 रुपये और एससी-एसटी के लिए 750 रुपये निर्धारित किया गया था. इनमें से कुल 15,19,375 कैंडिडेट्स ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिनमें से 14,10,755 कैंडिडेट्स ने परीक्षा में भाग लिया था. इस परीक्षा का परिणाम 5 जून को घोषित हुआ था.
गौड़ ने आरटीआई के तहत जब पूछा कि नीट-2019 परीक्षा के आयोजन पर आई लागत और शेष बची राशि का कब, कहां और कैसे उपयोग किया गया है तो इसके जवाब में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने बताया कि परीक्षाओं के लिए एकत्रित की गई फीस का परीक्षा से जुड़े हुए कार्यो और उद्देश्य में उपयोग किया जाता है. एनटीए लाभकारी संस्था नहीं है.
आरटीआई कार्यकर्ता गौड़ का कहना है कि
नीट परीक्षा से भारी भरकम रकम आई हो, ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले मेडिकल काउंसलिंग कमेटी द्वारा नीट यूजी 2018 की ऑनलाइन काउंसलिंग प्रक्रिया में भाग लेने के लिए कैंडिडेट्स से कुल 18,32,87,500 रुपये (18़ 32 करोड़) रुपये वसूले गए थे, जबकि काउंसलिंग प्रक्रिया पर मात्र 2,76,78,614 (2़ 76 करोड़) रुपये की लागत आई थी. यह खुलासा भी आरटीआई से हुआ था.
इतना ही नहीं नीट प्रवेश परीक्षा की फीस के निर्धारण के लिए अपनाई गई प्रक्रिया के संदर्भ में हुई बैठक के मिनट्स ऑफ मीटिंग्स, इसमें प्रस्तुत प्रस्ताव और इसकी फाइल नोटिंग्स से जुड़ी जानकारी आरटीआई में मांगने पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा 8 (1) (डी) और (ई) का हवाला देते हुए फीस निर्धारण के लिए हुई बैठक के मिनट्स ऑफ मीटिंग्स की जानकारी देने से इनकार कर दिया है.
आरटीआई कार्यकर्ता गौड़ का कहना है कि किसी भी जनकल्याणकारी राज्य में एक ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें कम से कम विद्यार्थियों को तो किसी भी प्रतिस्पर्धी परीक्षा में भाग लेने पर कोई भी आवेदन शुल्क नहीं देना पड़े, पर यदि ऐसी कोई व्यवस्था नहीं हो, तब भी ऐसे परीक्षा शुल्क तार्किक एवं लागत मूल्य से अधिक नहीं होना चाहिए.
(इनपुट: IANS)
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