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गुवाहाटी, 2 सितम्बर (आईएएनएस)| असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की अंतिम सूची भले ही आ गई हो लेकिन केंद्र व राज्य भाजपा का मानना है कि इसमें गलती की काफी गुंजाइश है।
इसलिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने चयनित डाटा के फिर से सत्यापन के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला किया है। असम के वित्त मंत्री व पूर्वोत्तर में भाजपा का चेहरा हिमंत बिस्वा सरमा के अनुसार, पार्टी बांग्लादेश सीमा से लगे जिलों में सैंपल डाटा के 20 फीसदी के फिर से सत्यापन की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाएगी। भाजपा असम की मुख्य भूमि से नमूनों के 10 फीसदी के फिर से सत्यापन की मांग करेगी। यह मांग मसौदा एनआरसी के खिलाफ होगी।
एनआरसी के मसौदे ने भाजपा को चौंका दिया जब सीमावर्ती जिलों से बहुत से लोगों ने सूची में अपनी जगह बनाई। इन सीमावर्ती जिलों की आबादी ज्यादा है। यह कहा जाता रहा है कि इनमें बड़ी संख्या अवैध बांग्लादेशी हैं।
ऐसे में इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि भाजपा व एनआरसी के प्रमुख समन्वयक प्रतीक हजेला के बीच विवाद खुलकर सामने आया है।
सरमा को पूर्वोत्तर का अमित शाह माना जाता है। सरमा ने कहा है, "मसौदे के ठीक बाद हम एनआरसी के वर्तमान स्वरूप से उम्मीद खो चुके हैं। जब बहुत से असली भारतीय बाहर हो गए हैं तो आप कैसे दावा कर सकते हैं कि यह दस्तावेज असमिया समाज के लिए महत्वपूर्ण है।"
एनआरसी की अंतिम सूची शनिवार को जारी की गई, इसमें सूची से बाहर रहने वालों में ज्यादातर बंगाली हिंदू शरणार्थी हैं जो 1971 से पहले असम आए थे या पर्याप्त दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाने वाले लोग हैं।
असम भाजपा अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने अंतिम एनआरसी सूची को लेकर असंतोष जाहिर किया है।
शनिवार को एनआरसी की अंतिम सूची जारी की गई, जिसमें 3.01 करोड़ लोगों को शामिल किया गया है, जबकि 19 लाख से ज्यादा लोगों को छोड़ दिया गया है।
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