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नई दिल्ली, 2 दिसंबर (आईएएनएस)| नेहरू-इंदिरा की विरासत संभाल रहे गांधी परिवार से विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) का घेरा हटते ही कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के लोधी एस्टेट स्थित आवास पर पांच लोग एक तस्वीर खींचने के बहाने उनकी देहरी तक पहुंच गए।
यह वाकया महज पांच दिन पहले का है। प्रियंका के पति रॉबर्ट वाड्रा ने वाकये की पुष्टि आईएएनएस के साथ बातचीत में की। यह पूछे जाने पर कि क्या वे पार्टी के लोग थे या कोई और, उन्होंने कहा, "वे पार्टी के लोग नहीं थे ..यह गंभीर मामला है, सुरक्षा नियमों के पालन में पूरी तरह कोताही की गई।"
26 नवंबर को दोपहर बाद लगभग दो बजे एक काली स्कॉर्पियो आकर प्रियंका गांधी के आवास पर आकर रुकी। उस समय उनके दफ्तर में बैठक चल रही थी। उनका एक सहयोगी बाहर आकर स्कॉर्पियो से उतरे लोगों से पूछा कि वे क्या चाहते हैं। कार से उतरे लोगों में दो पुरुष, तीन महिलाएं और एक बच्चा था। उन्होंने कहा कि वे प्रियंका गांधी के साथ एक तस्वीर खिंचवाना चाहते हैं।
प्रियंका के दफ्तर के कर्मियों ने जब वहां तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) से पूछा कि ये लोग अंदर कैसे आ गए, तो जवाब मिला कि आवास की सुरक्षा की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस की है। इस पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया।
सरकार ने अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे व पूर्व पार्टी प्रमुख राहुल गांधी और बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा की सुरक्षा में लगा एसपीजी घेरा हटा लिया है और इसके बदले उन्हें सीआरपीएफ की जेड प्लस सुरक्षा मुहैया कराई गई है। इन्हें एसपीजी सुरक्षा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक चुनावी रैली के दौरान आत्मघाती हमले में हत्या हो जाने के बाद से मिली हुई थी।
एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने पर सफाई देते हुए सरकार ने संसद में कहा कि यह बदले की राजनीति नहीं है, बल्कि सुरक्षा के प्रति वांछित तत्परता नहीं दिखाए जाने के बाद इसे हटाया गया। एसपीजी सुरक्षा अब सिर्फ प्रधानमंत्री के लिए रहेगी और इसके लिए संसद में एसपीजी अधिनियम में संशोधन भी पारित कराया गया है।
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