advertisement
उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के एटा (Etah) जिले के अलीगंज (Aliganj) थाने में पुलिस ने दो बच्चों को हिरासत (Children in Custody) में लिया है. इन दोनों की उम्र 8 और दूसरे की 10 साल है. दोनों बच्चे कचरा उठाने का काम करते हैं, पुलिस ने इन्हें बैंक में चोरी के शक में पकड़ लिया. थाने में बैठे मासूमों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है.
मामला अलीगंज थाने का है, जहां 19 जुलाई को भारतीय स्टेट बैंक के रेड जोन एरिया से कैशियर की खिड़की से करीब 5 लाख 19 हजार की रकम चोरी हो गयी थी, जिसके बाद कैशियर के खिलाफ केस दर्ज करवाया गया था. पुलिस द्वारा जांच में पाया गया कि इसके पीछे जो लोग थे, उनका कद बच्चों के कद के बराबर है.
सूत्रों के मुताबिक पुलिस पिछले चार-पांच दिनों से कुछ बच्चों को हिरासत में लेती है और छोड़ देती है. इस बीच 27 जुलाई को थाने में बैठे हुए दो बच्चों का वीडियो वायरल हो गया, जिसमें देखा जा सकता है कि बच्चे काफी डरे हुए हैं. एक बच्चे की उम्र महज 8 साल बताई गई है, वहीं दूसरे बच्चे की उम्र 10 साल बताई गई है.
हिरासत में लिए गए 8 साल के बच्चे हजरत की मां सवीना ने बताया कि, "हमारे बच्चे को पुलिस ने 3 बजे के लगभग पकड़ा था, जिस समय हमारा बेटा कबाड़ा बीनने के लिए अलीगंज पहुंचा था. पकड़ने के बाद उन्हें थाने में बैठा लिया गया, जिसके बाद हमारे बच्चे को शाम 7 बजे के लगभग छोड़ा है."
पीड़ित बच्चे हजरत ने बताया कि, पुलिस वाले किसी एक अन्य बच्चे के साथ मारपीट कर रहे थे और वह चिल्ला रहा था. बच्चे के चीखने और चिल्लाने की आवाज से वह डरने लगा था.
फरीद का कहना है कि पुलिस ने उसे और एक और साथी को तीन बजे के लगभग उठाया था और 4 घंटों के लिए बंद रखा था, जहां पर एक अन्य बच्चे के साथ की जा रही मारापीट की आवाजें सुनकर वह डर गया था.
हालांकि थाने में किस बच्चे के साथ मारपीट चल रही थी, इसकी जानकारी अब तक नहीं मिली है.
एटा पुलिस ने ट्वीट कर बताया है कि, "27 जुलाई को थाना अलीगंज क्षेत्र के अन्तर्गत एक किशोर को बैंक से रुपए निकालकर आए व्यक्ति का बैग चुराने का प्रयास करते हुए पकड़ा गया जिसे किशोर न्यायालय बोर्ड (जुवेनाइल बोर्ड) के समक्ष पेश किया गया है, अन्य दो बच्चों को शक के आधार पर लाकर बाद में पूछताछ कर छोड़ दिया गया था."
इस पूरे मामले पर वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत पुंढीर बताते हैं कि, "पुलिस को किसी भी बच्चे को हिरासत में लेने का कोई अधिकार नहीं है, पुलिस को सबसे पहले बाल कल्याण समिति और जुवेनाइल बोर्ड से अनुमति लेनी होती है. इसके बाद ही पुलिस बच्चों के साथ पूछताछ या हिरासत में ले सकती है, लेकिन इस पूरे घटना क्रम में तो लग रहा है. पुलिस ने अपने खुद के नियम बना लिए हैं, मुझे लग रहा है पुलिस ने तो इस मामले में किसी भी बच्चे की जीडी पर भी एंट्री नहीं की होगी."
इनपुट क्रेडिट- शुभम श्रीवास्तव
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)