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स्विट्जरलैंड ने 1950 से निष्क्रिय पड़े बैंक खातों के बारे में सूचना जारी की है जिसमें चार भारतीयों के खाते भी शामिल हैं.
स्विट्जरलैंड द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार साल 1950 से करीब 2,600 खाते निष्क्रिय पड़े हैं. इनमें 300 करोड़ की राशि जमा है. इन खातेदारों में शामिल चार भारतीयों के बारे में हासिल जानकारी के अनुसार दो भारतीय भारत में रहते हैं. इनके नाम पिएरे वाचेक, बहादुर चंद्र सिंह तथा, डा. मोहन लाल तथा किशोर लाल हैं. इनमें से पिएरे वाचेक ने अपना निवास स्थान मुंबई, सिंह ने देहरादून और मोहन लाल ने पेरिस को अपना निवास स्थान बताया है.
लेकिन, चौथे भारतीय के बारे में जानकारी नहीं दी गई है.
स्विजरलैंड ने इन खातादारों की जन्मतिथि संबंधी जानकारी भी जारी की है जिससे इनके रिश्तेदार और वंशज इन खातों पर अपना दावा कर सकें. ऐसे वंशजों को 1 से 5 साल में अपना दावा स्विस बैंकिंग ओम्बुड्समैन तथा स्विस बैंकर्स एसोसिएशन में करना होगा.
इस सूची में केवल वही खातें शामिल हैं जिसमें कम-से-कम 500 स्विस फ्रैंक पड़े हैं और कम-से-कम 60 साल से इसका कोई दावेदार नहीं है. देशों के हिसाब से सर्वाधिक लोग स्विट्जरलैंड के ही हैं. इसके अलावा इसमें जर्मनी, फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका, तुर्की, आस्ट्रिया तथा विभिन्न अन्य देश शामिल हैं.
यह सूची स्विट्जरलैंड में एक नया कानून बनने के बाद आई है. इस सूची में बहुत पुराने निष्क्रिय खातों के मालिकों के नाम सालाना आधार पर प्रकाशित करने को अनिवार्य किया गया है. यह व्यवस्था 2015 से ही शुरु की गयी है. एसबीए ने कहा है कि दिसंबर 2015 में 2,600 से अधिक नामों की सूची जारी की गयी है. इन खातों में करीब 4.4 करोड स्विस फ्रैंक है. इसके अलावा 80 लॉकर हैं.
(इनपुट भाषा से लिए गए हैं)
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