advertisement
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अगले वित्त वर्ष सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर के 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक के परिणामों की घोषणा करते हुए यहां कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में विकास दर के 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आरबीआई ने साथ ही वित्त वर्ष 23 की पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर के 17.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में सात प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.3 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है।
शक्तिकांत दास ने कहा कि निजी खपत अभी कोरोना संकट के पूर्व के स्तर पर नहीं है। इसी के कारण वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वास्तविक जीडीपी विकास अनुमान को 9.2 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे पहले यह अनुमान 9.5 प्रतिशत था।
उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय बाजार में अस्थिरता बढ़ने और वैश्विक आपूर्ति में बाधा आर्थिक परिदृश्य के लिए जोखिम पैदा कर सकती है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर के मुताबिक पूंजीगत व्यय तथा निर्यात पर सरकार के जोर देने से उत्पादन क्षमता में तेजी आने और मांग बढ़ने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि इससे निजी निवेश भी बढ़ेगा। आरबीआई की नीतियों से अनुकूल वित्तीय स्थितियां पैदा होंगी, जिससे निवेश गतिविधियों को गति मिलेगी।
शक्तिकांत दास ने बताया कि आरबीआई के सर्वेक्षण से यह खुलासा हुआ है कि क्षमता दोहन बढ़ रहा है और कारोबार तथा उपभोक्ता धारणा का परिदृश्य सकारात्मक बना हुआ है। रबी फसलों के अच्छे उत्पादन की संभावना से कृषि क्षेत्र का परिदृश्य भी अच्छा है।
उन्होंने कहा कि कुल मिलाकर वैश्विक कारकों के प्रतिकूल होने से निकट अवधि में विकास की गति धीमी होगी। हालांकि, विकास को गति देने वाले घरेलू कारकों में तेजी से सुधार हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि आरबीआई की एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष की आखिरी और छठी द्विमासिक बैठक में नीतिगत दरों को स्थायी रखने का फैसला किया है। यह लगातार दसवीं बार है, जब नीतिगत दरें यथावत रखी गयी हैं।
--आईएएनएस
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)