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गुजरात कांग्रेस को शंकर सिंह वाघेला के जाने के बाद दूसरा बड़ा झटका लगा है. पार्टी के तीन विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वॉइन कर ली है. गुरुवार दोपहर बलवंत सिंह राजपूत और तेजश्री पटेल ने पहले विधानसभा अध्यक्ष रमनलाल वोरा को अपना इस्तीफा सौंपा और फिर शाम होते-होते विधायक पीआई पटेल ने भी अपना इस्तीफा दे दिया.
तीनों ही विधायकों ने कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद कुछ ही घंटों के भीतर बीजेपी का दामन थाम लिया.
इसी साल गुजरात में चुनाव होने हैं. ऐसी स्थिति में कांग्रेस विधायकों का पार्टी से इस्तीफा दे देना किसी भी स्थिति में अच्छा नहीं माना जा सकता.
गुजरात विधानसभा की 182 सीटों में कांग्रेस के पास सिर्फ 59 सीटें हैं. वहीं प्रदेश की 26 लोकसभा सीटों में कांग्रेस का एक भी सांसद नहीं है. 1995 में चुनाव हारने के बाद पार्टी कभी अपने बूते सरकार नहीं बना पाई. हर चुनाव में बीजेपी लगातार मजबूत होती जा रही है.
ऐसे दौर में शंकर सिंह वाघेला जैसे अनुभवी और जनाधार वाले नेता के बाद विधायकों का पार्टी छोड़ना कांग्रेस को और घाटे में ले जा सकता है.
तीन विधायकों का इस्तीफा देकर बीजेपी में शामिल हो जाना कांग्रेस के लिए चिंता की खबर है. बीजेपी का दामन थामने वाले विधायकों में बलवंत सिंह राजपूत भी शामिल हैं. बलवंत सिंह राजपूत कांग्रेस से हाल ही में अलग हुए शंकर सिंह वाघेला के समधी हैं और बीजेपी ने बलवंत सिंह राजपूत को ही अपना तीसरा राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है.
कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी के बेहद करीबी अहमद पटेल ने आज गुरुवार को ही गांधी नगर में राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल किया था. अब बीजेपी ने पटेल के मुकाबले में कांग्रेस के ही बागी बलवंत सिंह को उतार दिया है.
गुजरात में राज्यसभा चुनाव आठ अगस्त को होना है. इस चुनाव में अहमद पटेल को राज्यसभा में लगातार चौथी बार पहुंचने के लिए 48 वोटों की जरूरत होगी. कांग्रेस के पास गुजरात में 60 विधायक थे, जिनमें तीन विधायकों के इस्तीफे के बाद अब 57 विधायक बचे हैं.
गुजरात में कांग्रेस पहले से ही कमजोर थी. साथ ही राष्ट्रपति इलेक्शन में हुई क्रॉस वोटिंग को लेकर कांग्रेस और भी ज्यादा परेशान थी. ऐसे में वाघेला गुट के तीन विधायकों के बीजेपी में चले जाने से कांग्रेस की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं. वाघेला गुट के और भी विधायकों के कांग्रेस छोड़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
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