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मोरबी पुल खुला और पता नहीं चला? 'बहुत बड़ी पालिका है, हमें सबकुछ पता नहीं रहता'

Morbi Municipal Corporation के चीफ से क्विंट ने पूछे सख्त सवाल- बिना फिटनेस सर्टिफिकेट पुल कैसे शुरू किया गया?

हिमांशी दहिया
न्यूज
Published:
<div class="paragraphs"><p>Gujrat Morbi bridge collapse</p></div>
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Gujrat Morbi bridge collapse

(फोटो- पीटीआई)

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26 अक्टूबर को ओरेवा समूह (Oreva Group) के प्रबंध निदेशक जयसुखभाई पटेल ने गुजरात के मोरबी (Gujrat Morbi bridge collapse) में “मरम्मत किए हुए” सस्पेंशन ब्रिज का उद्घाटन करते हुए कहा था कि, “पुल की मरम्मत के लिए जिस कच्चे माल का उपयोग हुआ है उसका उत्पादन केवल एक ऐसी कंपनी द्वारा किया जा सकता है जो इसमें अनुभव रखती हो. इस पुल को अब कम से कम 8-10 सालों तक कुछ नहीं होगा.

लेकिन चार दिन बाद एक हादसा हो गया और ब्रिटिश काल का सस्पेंशन ब्रिज रविवार, 30 अक्टूबर को टूट गया. 56 नाबालिगों सहित कम से कम 141लोगों की मौत हो गई और 93 लोग गंभीर रूप से घायल हैं और उनका इलाज चल रहा है.

जहां एक तरफ एफआईआर में ओरेवा समूह का जिक्र नहीं है, कंपनी के नौ जुनियर अधिकारियों को मोरबी पुलिस ने 31 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया.

मोरबी में मच्छू नदी पर बने 19वीं सदी के पुल को फिर से खोलने के लिए नगर पालिका की ओर से फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करना था लेकिन मोरबी नगर निगम के मुख्य अधिकारी ने आरोप लगाते हुए द क्विंट से कहा कि, “ओरेवा समूह ने फिटनेस सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया था.”

26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष पर पटेल और उनके परिवार द्वारा पुल का "उद्घाटन" किया गया था.

दिलचस्प बात यह है कि मोरबी नगर निगम के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने द क्विंट को बताया कि, “मोरबी नगर निगम का कोई भी अधिकारी हाल में हुए उद्घाटन समारोह में मौजूद नहीं था.” उन्होंने दावा किया कि मोरबी नगर निगम को "इस बात का अंदाजा नहीं था कि पुल को फिर से खोल दिया गया है."

230 मीटर लंबा पुल शहर के बीचों बीच है. जाला ने दावा किया कि नगर निगम को "29 अक्टूबर को जाकर पता चला कि यह पुल खुल चुका है."

उन्होंने कहा, "यह एक बहुत बड़ी नगरपालिका है. हम यहां होने वाली हर चीज के बारे में नहीं जान सकते."

बता दें कि मोरबी केवल दो लाख से अधिक लोगों की आबादी के साथ 46.58 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.

ध्यान देने वाली बात यह है कि, मीडिया की उपस्थिति के बीच ओरेवा समूह ने 26 अक्टूबर को पुल का उद्घाटन किया था और पटेल के अलावा उनकी पत्नी और बच्चे भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे.
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ये फिटनेस सर्टिफिकेट क्या होता है?

सूत्रों ने द क्विंट को बताया कि पुल की क्षमता 150 लोगों की है. चश्मदीदों के मुताबिक घटना के समय पुल पर 400 से ज्यादा लोग मौजूद थे.

फिटनेस सर्टिफिकेट नगर निगम द्वारा जारी किया जाता है. कई तरह की जांच के बाद ही इसे जारी किया जाता है जैसे कि पुल पर लगी रॉड की क्या क्षमता है, पुल एक समय में कितने लोगों का भार झेल सकता है, पुल कितनी हवा की गति का सामना कर सकता है और जिस ठेकेदार ने पुल बनाया है उसके पास लाइसेंस है या नहीं.

जाला ने दावा किया कि, "इस त्रासदी के लिए पूरी तरह से ओरेवा समूह जिम्मेदार है. उन्होंने लोगों के आवागमन के लिए पुल खोलने से पहले हमें (नगर पालिका) सूचित नहीं किया."

इस बीच, मोरबी नगर पालिका के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर आरोप लगाते हुए द क्विंट को बताया कि, “ओरेवा समूह ने एक प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, जिसे बाद में नगर पालिका ने अस्वीकार कर दिया था.”

हालांकि जाला ने इस दावे का जोरदार खंडन किया. उन्होंने कहा, "मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि इस पुल की फिटनेस जांच के संबंध में हमारे पास कभी कोई आवेदन नहीं आया."

घटना के तुरंत बाद, ओरेवा समूह के एक प्रवक्ता ने मीडिया को बताया कि "पुल ढह गया क्योंकि इस पर क्षमता से बहुत अधिक लोग थे."

दिलचस्प बात यह है कि टिकट बेचने और पुल पर भीड़ को नियंत्रित करने के लिए ओरेवा समूह जिम्मेदार है.

2020 के टेंडर के अनुसार, ब्रिज को 8-12 महीने के काम की जरूरत है

मोरबी पुलिस ने एफआईआर में पुल के प्रबंधन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार लोगों को आईपीसी की कई धाराओं के तहत आरोप दर्ज किया है, जिसमें गैर इरादतन हत्या, गैर इरादतन हत्या का प्रयास शामिल हैं.

मोरबी पुलिस निरीक्षक प्रकाशभाई देकावड़िया द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में नगर पालिका के अधिकारियों की बेरुखी के बारे में कुछ नहीं है.

हालांकि इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि सीएफएल बल्ब, वॉल क्लॉक और ई-बाइक में विशेषज्ञता रखने वाले ओरेवा समूह को मोरबी नगरपालिका द्वारा दो बार पुल के रखरखाव और प्रबंधन का ठेका कैसे दिया गया.

बता दें कि ओरेवा को पहली बार 2005 में और फिर मरम्मत और रखरखाव के लिए 2020 में टेंडर दिया गया.

फिटनेस सर्टिफिकेट प्राप्त नहीं करने के अलावा, द क्विंट द्वारा प्राप्त दस्तावेजों से यह भी पता चलता है कि ओरेवा समूह ने गुजराती नव वर्ष के दिन- निर्धारित तारीख से एक महीने पहले पुल को फिर से खोलने के लिए कई नियमों का उल्लंघन किया.

8 जून 2020 के टेंडर के अनुसार, "समझौते की तारीख से मरम्मत का काम खत्म होने तक लगभग 8 से 12 महीने लगेंगे."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

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