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नयी दिल्ली, 11 अप्रैल (भाषा) सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक हर्ष मंदर ने कहा है कि 2014 में भाजपा को मिले 31 प्रतिशत मत से एक खासा हिस्सा ‘‘विकास की राजनीति’’ के लिए था लेकिन 2019 में यह सच नहीं है और पार्टी को मत देने का मतलब उसकी ‘‘सांप्रदायिक नीतियों’’ का समर्थन करना है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि हो सकता है कि भाजपा ने देश में मौजूदा सांप्रदायिक घृणा की शुरूआत नहीं की हो लेकिन उसने हिंसक गतिविधियों को ‘‘वैध बनाया और बढ़ावा दिया।’’
मंदर ने पीटीआई-भाषा से कहा कि यह स्पष्ट है कि हम रोजगार विहीन विकास के दौर से गुजर रहे हैं, अर्थव्यवस्था एक कठिन स्थिति से गुजर रही है, कृषि संकट और गहरा गया है, सांठगांठ वाले पूंजीवाद का बढ़ना जारी है तथा रुपया भी अच्छी स्थिति में नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘अब अगर कोई प्रधानमंत्री मोदी और उनके शासन का समर्थन करना जारी रखता है, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप सांप्रदायिक राजनीति के ध्रुवीकरण के लिए उनका समर्थन कर रहे हैं।’’
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत 31 प्रतिशत था। पार्टी ने 543 में से 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल किया था।
उन्होंने कहा, ‘‘यह चर्चों पर हमले, अल्पसंख्यकों और मुस्लिमों की भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या को वैध ठहराने के बारे में ही नहीं है... इन्हें वीरता का कार्य भी माना जाता है। उनकी एक पुस्तक ‘‘पार्टिशन और दि हर्ट्स’’ हाल ही में आयी है।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में ऐसे उदाहरण सामने आए जहां पीड़ितों को अपराधी बना दिया जाता और अपराधियों को नौकरियों की पेशकश की गयी और उन्हें नायक के रूप में सम्मानित किया गया।
मंदर ने हालांकि कहा कि मौजूदा सरकार को हराना अंतिम समाधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि जहर काफी गहरे स्तर तक पहुंच गया है और इसे साफ करने में दो पीढ़ियों का समय लगेगा।
भाषा
(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)
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