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इंदौर, 12 जून (आईएएनएस)| संत और आध्यात्मिक गुरु भय्यूजी महाराज (उदय राव देशमुख) ने मंगलवार को यहां अपने खंडवा रोड स्थित आवास पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
आत्महत्या की वजह का खुलासा नहीं हो पाया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गहरा शोक जताया। इंदौर के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) अजय कुमार शर्मा ने आईएएनएस को बताया, भय्यूजी महाराज का उपचार के दौरान अस्पताल में निधन हो गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
इंदौर से विधायक रमेश मेंदोला ने बॉम्बे अस्पताल से बाहर निकलते हुए संवाददाताओं से कहा, हमारे सिर पर से संत और संरक्षक का साया उठ गया है, अब वे हमारे बीच नहीं रहे। वजह क्या थी, यह तो जांच में ही पता चलेगा।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि दी, संत भय्यूजी महाराज को सादर श्रद्धांजलि। देश ने संस्कृति, ज्ञान और सेवा की त्रिवेणी व्यक्तित्व को खो दिया। आपके विचार अनंत काल तक समाज को मानवता की सेवा के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेंगे।
इंदौर के पुलिस उप महानिरीक्षक हरिनारायण चारी मिश्रा ने आईएएनएस से कहा, भय्यूजी महाराज ने अपने आवास पर खुद को गोली मार ली, उन्हें यहां के बॉम्बे अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया। खुद को गोली मारने का कारण क्या है, इसका खुलासा अभी नहीं हो पाया है।
भय्यूजी महाराज के खुद को गोली मार लेने की खबर मिलते के बाद बॉम्बे हॉस्पिटल के बाहर उनके समर्थकों का जमावड़ा लगा हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि भय्यूजी महाराज ने लाइसेंसी रिवॉल्वर से अपने सिर में गोली मारी। वह अपने खंडवा रोड स्थित सिल्वर स्प्रिंग इलाके के अपने मकान की पहली मंजिल पर थे। गोली की आवाज सुनने के बाद उनके आवास में मौजूद लोग उनके कमरे की ओर दौड़े। उन्होंने लहूलुहान भय्यूजी को बॉम्बे अस्पताल पहुंचाया। उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया, उपचार चला, मगर उन्हें बचाया नहीं जा सका।
उदय सिंह शेखावत उर्फ भय्यूजी महाराज का सभी राजनीतिक दलों में दखल रहा है। उनका कांग्रेस और आरएसएस के लोगों से करीबी रिश्ते हैं। वह समाज के लिए लगातार तरह-तरह के कार्यक्रम चलाते रहे। वेश्याओं के 51 बच्चों को उन्होंने पिता के रूप में अपना नाम दिया था। पहली पत्नी माधवी के निधन के बाद पिछले साल 49 वर्ष की उम्र में उन्होंने गालियर की डॉ. आयुषी के साथ दूसरी शादी की थी। हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार ने उन्हें 'राज्यमंत्री' का दर्जा दिया था, मगर उन्होंने उसे ठुकरा दिया था।
भय्यूजी महाराज ने कांग्रेस के शासनकाल में वर्ष 2011 में दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचकर अन्ना हजारे का अनशन खत्म कराने में मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे से भी उनके अच्छे संबंध थे।
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