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देश में लगभग 17 करोड़ बच्चे अभी भी शिक्षा प्रणाली से बाहर हैं. हालांकि, अब केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक ताजा रिपोर्ट में पाया गया है कि स्कूलों में दाखिला लेने की दर में वृद्धि हुई है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च प्राथमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात बढ़कर 92.2 प्रतिशत हो गया. लेकिन स्कूलों में छात्रों के नामांकन का यह अनुपात उच्चतर माध्यमिक स्तर पर पहुंचते-पहुंचते 53.8 प्रतिशत ही रह जाता. हालांकि, पिछले वर्षों के मुकाबले इसमें भी वृद्धि दर्ज की गई है.
गौरतलब है कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग में गैर-साक्षर लोगों की कुल संख्या 25.76 करोड़ (पुरुष 9.08 करोड़, महिला 16.68 करोड़) है. 2009-10 से 2017-18 के दौरान साक्षर भारत कार्यक्रम के तहत साक्षर के रूप में प्रमाणित व्यक्तियों की 7.64 करोड़ की प्रगति को ध्यान में रखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि वर्तमान में भारत में लगभग 18.12 करोड़ वयस्क अभी भी गैर-साक्षर हैं.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा विभाग के अंतर्गत आने वाले यूनिफाइड डिस्ट्रिक इनफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई) द्वारा यह रिपोर्ट तैयार की गई है. शिक्षा मंत्रालय की रिपोर्ट में स्कूल नामांकन में वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है. रिपोर्ट के मुताबिक 2020-21 में प्राइमरी से हायर सेकेंडरी तक के कुल छात्रों की संख्या लगभग 25.38 करोड़ है जो कि 2019-20 की तुलना में 28.32 लाख अधिक है.
2018-19 और 2020-21 के बीच माध्यमिक में छात्रों के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में लगभग 3 प्रतिशत का सुधार हुआ है. 2018-19 के 76.9 प्रतिशत की तुलना में 2020-21 में माध्यमिक स्कूल के लिए जीईआर लगभग 79.8 प्रतिशत तक पहुंच गया है.
2018-19 और 2020-21 के बीच उच्चतर माध्यमिक में जीईआर में 3.7 प्रतिशत का सुधार हुआ है. उच्च माध्यमिक स्कूलों में लड़कियों के नामांकन में 2018-19 की तुलना में 2020-21 में 3.8 प्रतिशत का सुधार हुआ है. उच्चतर माध्यमिक के लिए छात्रों की नामांकन दर 2020-21 में 53.78 फीसदी तक पहुंच गई है, जबकि 2018-19 में यह 50.1 प्रतिशत था.
यूडीआईएसई की 2020-21 की रिपोर्ट बताती है कि 2020-21 में प्राथमिक से उच्च माध्यमिक तक लड़कियों का नामांकन 12.2 करोड़ से अधिक है. यह 2019-20 की तुलना में 11.8 लाख की वृद्धि है. 2020-21 में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक में नामांकन में क्रमश 1.41 प्रतिशत और 3.76 प्रतिशत का सुधार हुआ है.
देश में अधिक से युवाओं को साक्षरता एवं शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके इसके लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और 2021-22 की बजट घोषणाओं के अनुरूप वयस्क शिक्षा के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए न्यू इंडिया साक्षरता कार्यक्रम (नव भारत साक्षरता कार्यक्रम) को मंजूरी दी है. नव भारत साक्षरता कार्यक्रम का अनुमानित कुल परिव्यय 1037.90 करोड़ रुपये है, जिसमें अगले 5 वर्षों यानी वित्त वर्ष 2022-27 के लिए क्रमश 700 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा और 337.90 करोड़ रुपये का राज्य हिस्सा शामिल है.
शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक योजना को ऑनलाइन मोड के माध्यम से स्वयंसेवा के माध्यम से लागू किया जाएगा. स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण, अभिविन्यास, कार्यशालाओं का आयोजन फेस-टू-फेस (आमने-सामने) मोड के माध्यम से किया जा सकता है. आसान पहुंच के लिए सभी सामग्री और संसाधन आसानी से सुलभ डिजिटल मोड, जैसे टीवी, रेडियो, सेल फोन-आधारित फ्री ओपन-सोर्स ऐप व पोर्टल आदि के माध्यम से पंजीकृत स्वयंसेवकों तक डिजिटल रूप से उपलब्ध कराए जाएंगे.
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