advertisement
रविवार को दिल्ली-पानीपत हाईवे पर सड़क हादसे में देश ने 5 पावर लिफ्टिंग खिलाड़ियों को खो दिया. कार में सवार 6 खिलाड़ी दिल्ली से पानीपत की तरफ जा रहे थे. घने कोहरे की वजह से कार का बैलेंस बिगड़ गया. कार पहले डिवाइडर से टकराई, उसके बाद खम्भे से. ये टक्कर इतनी तेज थी कि 4 खिलाड़ियों की मौके पर ही मौत हो गई. वेटलिफ्टर सक्षम यादव ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. वहीं एक की हालत नाजुक बताई जा रही है.
देश को सड़क हादसे में कितने जान-माल का नुकसान हो रहे है. इसी से जुड़ी एक रिपोर्ट सितंबर, 2017 में जारी की गई थी. ट्रांसपोर्ट और हाईवे मिनिस्ट्री की रिपोर्ट बेहद डराने वाली है. इस रिपोर्ट में साल 2016 में हुए रोड हादसों का पूरा विश्लेषण है.
आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में छपी कुछ और खास आंकड़ें:
साल 2016 में रोड हादसे में सबसे ज्यादा 18-35 आयु वर्ग के लोगों की मौत हुई. कुल मृतकों में से 46.3 फीसदी यानी 69,851 लोग इसी आयु वर्ग के थे.
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगर हर 1 लाख की आबादी पर औसत एक्सीडेंट्स का औसत निकाले, तो साल 2010 के मुकाबले 2016 में एक्सीडेंट्स में कमी आई है. साल 2010 में हर साल जहां एक लाख लोगों पर 42 एक्सीडेंट्स होते थे वहीं ये आंकड़ा 2016 में करीब 38 फीसदी का है.
एक और बात हैरान कर देने वाली है कि नेशनल हाईवे जो कुल रोड नेटवर्क का महज 2 फीसदी हैं वहां कुल 29.9 फीसदी रोड हादसे हुए हैं. वहीं कुल मरने वालों में से 34.5% लोग इन्हीं हादसों के शिकार हुए हैं.
साल 2016 में गड्ढ़ों की वजह से 6,424 रोड एक्सीडेंट हुए और 2,324 जानें गईं. वहीं स्पीड ब्रेकर की वजह से 9,583 रोड एक्सीडेंट हुए और 3,396 जानें गईं
साल 2016 में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट्स टू-व्हीलर्स यानी बाइक, स्कूटर, स्कूटी सवार लोगों के हुए हैं. कुल हादसों का ये 33.8 फीसदी है. इससे 52,500 लोगों की जान चली गई. इनमें से 10.135 ने हेलमेट नहीं पहन रखी थी.
शराब पीकर या ड्रग्स लेकर गाड़ी चलाने के चक्कर में 14,894 रोड एक्सीडेंट हुए जिनमें 6,131 की मौत हो गई.
मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर गाड़ी चलाते वक्त कुल 4,976 हादसे हुए जिनमें 2,138 लोगों की मौत हो गई.
साल 2016 में हिट एंड रन के 55942 मामले सामने आए जो 2015 के मुकाबले थोड़े कम हैं, इन मामलों 22962 लोगों की जान चली गई
बता दें कि कुल 13 राज्य में ही 86 फीसदी रोड एक्सीडेंट हुए हैं जिनमें कुल मरने वालों में से 84 फीसदी लोग हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)