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मोदी सरकार ने मंगलवार को 13 और शहरों के नामों की घोषणा की जिन्हें अब स्मार्ट सिटी मिशन के तहत विकसित किया जाएगा. इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ सबसे ऊपर है, जिसके बाद तेलंगाना के वारंगल और हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला का नाम है.
केंद्र सरकार की तरफ से कराए गए ‘‘फास्ट ट्रैक काॅम्पिटीशन’’ में 23 शहरों ने भाग लिया था. ये शहर उन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से हैं जिन्हें पहले चरण में जगह नहीं मिल सकी थी. शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने इस मुकाबले के परिणाम की मंगलवार को घोषणा की. इन 23 शहरों में सिर्फ 13 शहर ही मुकाबले में सफल हो सके.
नायडू ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि ‘‘फास्ट ट्रैक कंपीटिशन’’ में चुने गए 13 शहरों ने कुल 30,229 करोड़ रुपए के निवेश का प्रस्ताव दिया है. इसके साथ ही, 33 शहरों में स्मार्ट सिटी मिशन के तहत प्रस्तावित निवेश अब 80,789 करोड़ रुपए हो गया है.
जनवरी में 20 शहरों की घोषणा की गयी थी और अब 13 नए शहरों की घोषणा की गई है. नायडू ने कहा कि सात राजधानी शहर जो मुकाबले के लिए 100 शहरों की सूची में शामिल नहीं किए गए थे,
ये शहर अगले चरण में शामिल हो सकेंगे.
नायडू ने कहा कि उत्तर प्रदेश में मेरठ और रायबरेली में से एक और जम्मू और श्रीनगर में से एक का मिशन के तहत मूल्यांकन किया जाएगा. स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चुने गए 13 शहरों में से चार बीजेपी शासित प्रदेशों छत्तीसगढ़, गोवा, झारखंड और हरियाणा से हैं जबकि दो शहर कांग्रेस शासित हिमाचल प्रदेश और मणिपुर से हैं. लखनऊ समाजवादी पार्टी शासित उत्तर प्रदेश से है जबकि भागलपुर बिहार से है जहां जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस गठबंधन का शासन है. वारंगल तेलंगाना में है जहां तेलंगाना राष्ट्र समिति सत्ता में है.
स्मार्ट सिटी मिशन के तहत देश भर के 100 शहरों को साल 2019-20 तक स्मार्ट सिटी के रुप में विकसित किया जाएगा और केंद्र सरकार अगले पांच साल में 48,000 करोड़ रुपए का वित्तीय समर्थन मुहैया कराएगी. प्रतिस्पर्धा के विभिन्न चरणों में चुने गए प्रत्येक शहर को पहले साल 200 करोड़ रुपए की केंद्रीय मदद मिलेगी जबकि बाद के तीन वित्त वर्षों में हर साल 100 करोड़ रुपए मिलेंगे.
स्मार्ट सिटी परियोजना में बेहतर सार्वजनिक परिवहन, आईटी कनेक्टिविटी, ई गर्वंनेंस और नागरिक हिस्सेदारी के अलावा बिजली-पानी की लगातार आपूर्ति, साफ सफाई और ठोस कचरा प्रबंधन प्रणाली आदि प्रमुख हैं.
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