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2019 लोकसभा चुनाव को बैलेट पेपर से कराए जाने की मांग को लेकर 17 विपक्षी दल चुनाव आयोग के पास पहुंच सकते हैं. विपक्ष के सूत्रों के मुताबिक, ये दल अगले हफ्ते तक चुनाव आयोग से मिलने की तैयारी में हैं. 2017 यूपी चुनाव के बाद से ही विपक्ष इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन पर निशाना साधे हुए है. ये पार्टियां सत्ताधारी दल पर EVM का गलत इस्तेमाल कर चुनावी धांधली का आरोप लगा रही हैं.
हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ‘बैलेट सत्याग्रह’ तक करने की चेतावनी दे दी थी. अखिलेश ने ट्वीट कर कहा था कि हमने फैसला कर ही लिया है कि अगला चुनाव ‘बैलेट पेपर’ से ही हो और हम चुनाव आयोग से इसकी मांग करेंगे. इस मांग को लेकर ‘बैलेट सत्याग्रह’ तक करने को तैयार हैं. देश और लोकतंत्र के भविष्य के लिए हम सबसे अपील करते हैं कि वो ईवीएम को हटाए जाने के लिए हमारा साथ दें.
बीजेपी की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने भी ईवीएम मुद्दे पर विपक्ष के हां में हां मिलाई है. ईवीएम टेंपरिंग की आशंका जताते हुए शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने कहा है कि सिर्फ एक बार मैं चाहता हूं कि बीजेपी बिना ईवीएम के बैलेट पेपर के जरिए चुनावी मैदान में उतरे.
बीजेपी का कहना है कि विपक्षी पार्टियां अपनी हार को कवर करने के लिए ऐसे आरोप लगाती हैं. वहीं चुनाव आयोग ने जून में ही बैलेट पेपर को वापस लाने की सभी संभावनों को खारिज करते हुए कहा था कि ईवीएम को बलि का बकरा नहीं बनाया जाना चाहिए, क्योंकि मशीनें बोल नहीं सकतीं' और राजनीतिक दलों को अपनी हार के लिए किसी न किसी को जिम्मदार ठहराने की जरूरत होती है. बता दें कि आयोग ने पिछले साल जुलाई में एक सर्वदलीय बैठक में घोषित किया था कि आगे से सभी चुनाव वोटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) मशीनों के साथ ईवीएम का इस्तेमाल करके किए जाएंगे.
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