advertisement
रेप की पुष्टि के लिए कराया जाने वाला ‘टू फिंगर टेस्ट’ भले ही बैन कर दिया गया है, लेकिन बिहार में एक रेप पीड़िता को इस प्रतिबंधित प्रक्रिया से गुजरना पड़ा. उसे एक-दो बार नहीं, बल्कि पांच बार मेडिकल जांच के लिए जाना पड़ा.
पूर्वी चंपारण की रहने वाली 17 वर्षीय रेप पीड़िता को मेडिकल के लिए पुलिस ने मोतिहारी सदर हॉस्पिटल भेजा था, जहां उसे सुप्रीम कोर्ट से प्रतिबंधित ‘टू फिंगर टेस्ट’ से 5 बार गुजरना पड़ा. बीते 13 जून को पीड़िता के साथ हुई दरिंदगी के बाद उसे 18 जून को इलाज के लिए रामगढ़वा प्राइमरी हेल्थ सेंटर में भर्ती कराया गया था.
बैन होने के बावजूद इस तरह के टेस्ट से पीड़िता को गुजरना पड़ा, जो दर्शाता है कि तमाम लोगों ने इस परीक्षण के प्रति कई तरह की धारणाएं बना रखी हैं. सच पूछिए तो यह एक मानसिक प्रताड़ना है, जो रेप पीड़िता को अस्पताल पहुंचने के बाद दी जाती है. अब भी रेप, रेप पीड़िता और टू फिंगर टेस्ट से जुड़ी भ्रांतियां, धारणाएं लोगों के मन से हटी नहीं हैं. टू फिंगर टेस्ट पीड़िता को उतनी ही पीड़ा पहुंचाता है, जितना उसके साथ हुआ रेप.
इस मामले से ताज्जुब होता है कि मेडिकल साइंस की तरक्की के बावजूद पढ़े-लिखे अधिकारी, डाॅक्टर और आम जन इस विवादास्पद परीक्षण को ही विश्वसनीय मानते हैं.
यह एक बेहद विवादास्पद परीक्षण है, जिसे वर्जिनिटी टेस्ट माना जाता है. इस टेस्ट में डॉक्टर्स महिला के प्राइवेट पार्ट में दो उंगलियां डालकर ये जानने की कोशिश करते हैं कि उसे कोई अंदरूनी चोट या जख्म तो नहीं हैं. प्राइवेट पार्ट के अंदर से सैम्पल लेकर उसकी स्लाइड बनाई जाती है. इस स्लाइड का लैब टेस्ट किया जाता है. इस टेस्ट में रेप पीड़िता के प्राइवेट पार्ट के लचीलेपन की भी जांच की जाती है. अंदर प्रवेश की गई उंगलियों की संख्या से डॉक्टर बताते हैं कि महिला ‘एक्टिव सेक्स लाइफ’ में है या नहीं या उसके साथ रेप की घटना हुई है या नहीं.
जस्टिस जेएस वर्मा समिति ने भी इसकी तीखी आलोचना की थी. समिति ने 23 जनवरी, 2013 को अपनी रिपोर्ट में कहा, “सेक्स अपराध-कानून का विषय है, न मेडिकल डायग्नोसिस का. महिला की वजाइना के लचीलेपन का बलात्कार से कोई लेना-देना नहीं है” इसमें टू फिंगर टेस्ट न करने की सलाह दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि यह सिर्फ टेस्ट नहीं है, बल्कि बलात्कार पीड़िता के अधिकारों का उल्लंघन है. महिला अधिकार कार्यकर्ता और वकील फ्लेविया एग्नेस का कहना है,
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)