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अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में पांच जुलाई 2005 को हुए आतंकी हमले के मामले में कोर्ट ने पांच आरोपियों में से चार को दोषी करार देते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है, जबकि एक को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है.
सेंट्रल जेल नैनी में बंद मोहम्मद अजीज को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है. वहीं, डॉ. इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नफीस, आसिफ इकबाल उर्फ फारूक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
इस मामले की सुनवाई के लिए सुरक्षा कारणों से प्रयागराज की नैनी सेन्ट्रल जेल में अस्थायी स्पेशल कोर्ट बनाई गई थी. यहीं आतंकी हमले के पांचों आरोपी बंद हैं. स्पेशल जज दिनेश चंद्र की कोर्ट में दोनों पक्षों की बहस 11 जून को पूरी हो गई थी. इस मामले में कुल 63 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. 57 गवाहों को अभियोजन पक्ष ने पेश किया था जबकि छह गवाहों को कोर्ट ने तलब किया था.
इस मामले में जांच के बाद आतंकियों की मदद के आरोप में जांच एजेंसियों ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया था. नैनी सेन्ट्रल में बंद पांचों अभियुक्तों के नाम हैं:
इनमें से चार आरोपी जम्मू के पुंछ जिले के मेंढर और डॉ इरफान यूपी के सहारनपुर का रहने वाला है.
आतंकी हमले के बाद मारे गए आतंकियों के पास से बगैर सिम का एक मोबाइल, पांच एके 47 राइफल, ग्रेनेड लॉन्चर, चाइनीज पिस्टल और कारतूस घटनास्थल से बरामद हुए थे. इस मामले में 11वीं वाहिनी पीएसी के दल नायक कृष्ण चन्द्र सिंह की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था. इस मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट के 8 दिसम्बर 2006 के आदेश पर फैजाबाद से इलाहाबाद की जिला अदालत में ट्रांसफर कर दी गई थी.
जिसके बाद सुरक्षा कारणों से मामले की सुनवाई नैनी सेंट्रल जेल में बनायी गई स्पेशल कोर्ट में ही चल रही थी. फैसले के मद्देनजर प्रयागराज समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं.
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