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छत्तीसगढ़ के सुकमा क्षेत्र में शनिवार को नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर बड़े हमले को अंजाम दिया. इस हमले में अब तक 22 जवान शहीद हो चुके हैं और 30 जवान घायल हुए हैं. कुछ जवान अब भी लापता हैं.
हमला इतना भयावह था कि 2000 सुरक्षाकर्मियों में से 400 लोगों की टीम को घेरकर नक्सलियों ने गोलीबारी की. घने जंगलों वाली हमले की जगह पर अभी सर्च ऑपरेशन चल ही रहा है. अब तक 22 शहीदों में से 17 के शव बरामद हो चुके हैं.
सवाल उठता है कि सुरक्षाबलों की इतनी बड़ी टुकड़ी पर इतने बड़े स्तर का हमला कैसे हो गया? यहां सिलसिलेवार ढंग से पूरा घटनाक्रम जानते हैं.
शुक्रवार रात को दक्षिण बस्तर इलाके में नक्सलियों से लड़ने के लिए एक ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया गया. इस ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ पुलिस, डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG), स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और CRPF की अलग-अलग टीमें शामिल थीं.
दक्षिण बस्तर के घने जंगलों में शुक्रवार रात से शनिवार दोपहर तक यह ऑपरेशन बिना रुकावट चलता रहा. इस दौरान सुरक्षाकर्मियों की टीमें क्षेत्र के अलग-अलग इलाकों में सर्च ऑपरेशन चलाती रहीं.
शनिवार दोपहर को बीजापुर-सुकमा सीमा पर तार्रेम क्षेत्र में अचानक पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) ने 400 सुरक्षाबलों की एक मजबूत टीम पर घेरकर हमला कर दिया. यह फायरिंग तीन घंटे तक चलती रही. शाम 4 बजे से गोलीबारी रुक गई. लेकिन पुलिस ने अब भी ऑपरेशन को खत्म नहीं माना है.
पूरा इलाका घने जंगलों वाला है. इसलिए सर्च ऑपरेशन और कम्यूनिकेशन में भी दिक्कत जा रही है. ऐसे में नुकसान की सही स्थिति पता करने में वक्त लग रहा है. बता दें यह इलाका प्रतिबंधित संगठन CPI(माओवादी) की झागरगुंडा क्षेत्र समिति के अंतर्गत आता है, जिसका प्रमुख पापा राव है.
इससे पहले पिछले महीने मार्च में छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने जवानों से भरी एक बस को आईईडी ब्लास्ट से उड़ा दिया था. जिसमें 5 जवान शहीद हो गए थे, जबकि 10 जवान घायल हुए थे. नारायणपुर इलाके में घात लगाकर नक्सलियों ने इस घटना को अंजाम दिया था.
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