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26 नवंबर 2008 की रात जैसे कहर मुंबई पर टूट पड़ा. पड़ोसी पाकिस्तान से 10 आतंकी भारत की सीमा में घुसे और अंधाधुंध हमले कर सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया. कई जिंदगियां खत्म हो गईं. जो बच गईं, वो जिस्म से लेकर जेहन तक के जख्मों को साथ लिये जी रही हैं. उस रात का खौफ, वो यादें अब भी झंझोड़ जाती हैं. वो एक आम दिन ही तो था. आम लोग अपनी आम जिंदगी की भागमभाग में फंसे थे. मुंबई की रफ्तार के साथ कदमताल करने की कोशिश कर रहे थे. तभी, मुंबई पर हुए सबसे बड़े हमले ने सब कुछ खत्म कर दिया. सपने, उम्मीदें, जिंदगियां.
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