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भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है. फ्रांस में 'फ्रेंच नेशनल फाइनेंशियल प्रोसेक्यूटर्स ऑफिस (PNF)' ने एक जज को मामले की जांच सौंप दी है.
बता दें इस डील में कमीशन के तौर पर लाखों यूरो की रिश्वतखोरी का खुलासा मीडियापार्ट नाम की वेबसाइट ने इस साल अप्रैल में किया था. इसके बाद वित्तीय अपराधों में विशेषज्ञता रखने वाले NGO शेरपा ने जांच के लिए आधिकारिक मामला दर्ज करवाया था. इसी के आधार पर मौजूदा जांच करवाई जा रही है.
भारत में भी बीते 3-4 सालों में राफेल डील में भ्रष्टाचार का मुद्दा काफी छाया हुआ रहा था. 2019 के चुनावों में तो यह विपक्ष की तरफ से बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी था.
इसके बाद तीनों ने एक रिव्यू पेटिशन डाली. मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित कर लिया. अक्टूबर 2019 में भारत को राफेल की पहली खेप मिली. नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने रिव्यू पेटिशन को भी खारिज कर दिया.
अप्रैल में मीडियापार्ट के खुलासे के बाद वकील एम एल शर्मा ने फिर से पीआईएल दाखिल की. इस याचिका में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रेस्पोंडेंट नंबर एक बनाया गया था. शर्मा का आरोप था कि इस समझौते में कमीशनबाजी की गई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि दसां एविऐशन और फ्रेंच डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स फर्म थेल्स ने सुशेन गुप्ता को राफेल डील को अपने पक्ष में प्रभावित करने के लिए लाखों यूरो का भुगतान किया.
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