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बिहार में शिक्षा पर संकट, 4 लाख टीचर 15 दिन से हड़ताल पर

सरकार समान काम और समान वेतन को लागू करने से इनकार कर रही है.

उमेश कुमार राय
भारत
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सरकार समान काम और समान वेतन को लागू करने से इनकार कर रही है.
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सरकार समान काम और समान वेतन को लागू करने से इनकार कर रही है.
(फोटोः क्विंट हिंदी/उमेश कुमार राय)

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बिहार के स्कूलों में पहले ही शिक्षकों की कमी है और करीब 4 लाख शिक्षक 15 दिनों से हड़ताल पर हैं. ऐसे में स्कूल में छात्रों की पढ़ाई ठप पड़ी है. ये शिक्षक समान काम और समान वेतन को लेकर हड़ताल कर रहे हैं. इसके लिए कोर्ट से आदेश भी जारी किए गए हैं. लेकिन सरकार इसे लागू करने से इनकार कर रही है. ऐसे में बिहार की शिक्षा, संकट में दिख रही है.

नियोजित शिक्षकों की मांग ये भी है कि जो शिक्षक रिटायर हो रहे हैं, उनकी जगह नियोजित शिक्षकों की बहाली की जाए. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के सचिव मनोज कुमार ने कहा, "स्थाई शिक्षकों के खाली पदों पर नियोजित शिक्षकों को बहाल किया जाए और उन्हें स्थाई शिक्षकों की तरह ही सारी सुविधाएं सरकार दे."

बिहार में फिलहाल स्थाई शिक्षकों के लगभग सवा लाख पद खाली हैं.

2010 तक बहाल हुए 2.5 लाख शिक्षक

2003 और 2005 में बिहार में शिक्षकों की बहाली हुई थी. 2006 में नीतीश सरकार ने नियोजित शिक्षकों की एक कैटेगरी बनाई और शिक्षामित्रों को इस कैटेगरी में शामिल कर लिया. 2010 तक इस कैटेगरी में करीब 2.5 लाख शिक्षक बहाल हुए.

TET को किया गया अनिवार्य

अप्रैल 2010 में जब देश में शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू हुआ तो उसमें शिक्षकों की नियुक्ति के लिए भी नियम तय किए गए. पहले माध्यमिक विद्यालय इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी जाती थी. लेकिन, शिक्षा का अधिकार अधिनियम में शिक्षकों की बहाली के लिए टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) अनिवार्य कर दिया गया.

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(फोटोः क्विंट हिंदी/उमेश कुमार राय)

क्या है हड़ताल की वजह?

बिहार सरकार ने 2011 में टीईटी परीक्षा लिया था और 2013-2014 में शिक्षकों की वैकेंसी निकली, तो टीईटी उत्तीर्ण इन अभ्यर्थियों की बहाली हो गई. लेकिन उन्हें भी सरकार ने नियोजित शिक्षकों की कैटेगरी में ही डाल दिया गया. साल 2002-03 में जब शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी, तो उनकी तनख्वाह महज 1500 रुपए थी, जो 2009 में बढ़कर 9000 रुपए हुई थी.

वेतन बढ़ाने की मांग पर नियोजित शिक्षकों ने वर्ष 2015 में हड़ताल शुरू की, तो सरकार ने नया वेतनमान तय किया. उसी वेतनमान के अनुसार नियोजित शिक्षकों को 24000 से 26000 रुपए मिलते हैं. लेकिन नियमित शिक्षकों की तनख्वाह नियोजित शिक्षकों के मुकाबले दोगुनी है. 

नियोजित शिक्षक इसी वेतन पर स्कूलों में पढ़ा रहे थे. इसी बीच, साल 2017 में पंजाब के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था जिसमें उसने समान काम के बदले समान वेतन को बुनियादी अधिकार कहा था. इसी फैसले की बुनियाद पर बिहार के नियोजित शिक्षकों ने साल 2017 में पटना हाईकोर्ट में मामला दायर कर नियमित शिक्षकों के बराबर वेतन देने की मांग की. कोर्ट ने अक्टूबर 2017 में नियोजित शिक्षकों के हक में फैसला दिया.

पटना हाईकोर्ट के फैसले को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी. सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई 2019 को फैसला सुनाते हुए कहा था कि नियोजित शिक्षकों का वेतन चपरासी से भी कम है. टीईटी शिक्षक संघर्ष समन्यव समिति केज कनवेनर अमित विक्रम कहते हैं, "सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के वेतन बढ़ाने और टीईटी पास शिक्षकों को विशेषज्ञ टीचर मानते हुए अच्छे वेतन देने की सिफारिश की थी. इस फैसले को आए हुए लगभग 10 महीने बीत चुके हैं, लेकिन, सरकार ने आदेश का पालन नहीं किया है. 22 फरवरी को नियोजित शिक्षकों ने पटना हाईकोर्ट में मामला दायर कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लागू करने को कहा था. पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश तुरंत लागू करने को कहा है, लेकिन इसके बावजूद सरकार ने इसे लागू नहीं किया है."

80 फीसदी स्कूलों में पढ़ाई ठप!

बिहार में 76 हजार स्कूल हैं. इन स्कूलों में छात्रों को पढ़ाने के लिए 60 हजार नियमित शिक्षक, 2.5 लाख शिक्षामित्र और 1.5 लाख टीईटी पास शिक्षकों को रखा गया हैं, लेकिन शिक्षक अपनी मांगों के लिए हड़ताल पर है, जिससे स्कूलों में पढ़ाई पूरी तरह प्रभावित हो रही है.

मिड डे मील भी प्रभावित

4 मार्च को मिड डे मील योजना के निदेशक कुमार रामानुज की ओर से सभी जिलों के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को जारी एक पत्र में कहा गया है कि 27 फरवरी की दोपहर की समीक्षा में पता चला है कि 4 दिनों में महज 19 प्रतिशत स्कूलों में ही मिड डे मील का संचालन हो रहा है.

इसका मतलब है कि लगभग 80 प्रतिशत स्कूलों में इतने टीचर नहीं हैं कि मिड डे मील तैयार कर छात्रों को दिया जा सके.

इसके अलावा अभी हाल ही में माध्यमिक की परीक्षा हुई है, लेकिन शिक्षकों की हड़ताल के कारण उनकी कॉपियों की जांच नहीं हो पाई है. वहीं, अगर हड़ताल जारी रही तो रिजल्ट आने में भी देर हो सकती है.

सरकार ने क्या कहा?

उपमुख्‍यमंत्री सुशील मोदी ने मंगलवार को विधान परिषद में कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों का वेतन शीघ्र बढ़ाएगी. उन्होंने कहा, "नियोजित शिक्षकों के प्रति सरकार संवेदनशील है, लेकिन समान काम के बदले समान वेतनमान नहीं देगी."

इससे पहले 26 फरवरी को बिहार विधान परिषद में नीतीश कुमार ने कहा था, 'छात्रों की परीक्षा होने वाली है और आप हड़ताल करोगे? क्या ये शिक्षकों का काम है? हम आपको नियमित शिक्षकों के बराबर वेतनमान नहीं दे सकते हैं, क्योंकि बिहार में और भी काम करने हैं."

हालांकि, मनोज कुमार का कहना है कि समान काम के बदले समान वेतन उनकी मांग नहीं है. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि नियोजित शिक्षकों की स्थाई पदों पर बहाली हो और उन्हें स्थाई शिक्षकों जैसा रिटायरमेंट लाभ मिले."

2014 से गोपालगंज के स्कूल में पढ़ा रही वैष्णवी मिश्रा ने कहा, "हड़ताल तब तक खत्म नहीं होगी, जब तक सरकार स्पष्ट निर्देश जारी कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अक्षरश: लागू नहीं करती है."

पिछले दिनों हड़ताली शिक्षकों ने भिक्षाटन किया था. आगामी 13 मार्च को वे लोग पटना के गर्दनी बाग में सामूहिक मुंडन कराकर विरोध दर्ज करेंगे.

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