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यूं तो दिल्ली देश की राजनीति का केंद्र है. पर राजनीति से जुड़ी एक और बात यहां की हवा में 2013 के बाद हमेशा से तैरती दिखी है. वो है उपराज्यपाल नजीब जंग और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच कभी न खत्म होने वाला विवाद.
पावर को लेकर इन दोनों के बीच विवाद हमेशा सुर्खियों में बने रहे. चूंकि नजीब जंग ने अब अपने कार्यकाल के दौरान ही इस्तीफा दे दिया है, ऐसे में उनके पीछे ये विवाद उन्हें और केजरीवाल या यों कहें कि दिल्ली सरकार को जरूर याद रहेंगे.
अब ये विवाद उनके खट्टे-मीठे अनुभव कहलाएंगे या कड़वे अनुभव , इसका जवाब वो ही बेहतर दे पाएंगे, पर हम यहां चुनिंदा विवादों पर एक नजर डाल रहे हैं.
सबसे ज्यादा गर्म मसला रहा पावर को लेकर छिड़ा विवाद. जंग और केजरीवाल सरकार के बीच पावर के बंटवारे को लेकर विवाद हुआ. यह मामला कोर्ट में गया, जिसके बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फैसला दिया था. अदालत ने साफ कहा था कि उपराज्यपाल दिल्ली कैबिनेट की सलाह के मुताबिक काम करने के लिए बाध्य नहीं हैं.
कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 239 के मुताबिक दिल्ली एक केंद्रशासित प्रदेश है और यह लागू रहेगा.
इस फैसले को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जहां यह मामला चल रहा है.
एक समय दिल्ली में दो-दो एसीबी बन गए थे. एसएस यादव को दिल्ली सरकार ने और मुकेश मीणा को उप राज्यपाल नजीब जंग ने एसीबी प्रमुख बनाया था. इस विवाद ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था.
2016 के मई महीने में दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने बहस की थी. केंद्र की दलील थी कि दिल्ली सरकार कोई ट्रान्सफर, पोस्टिंग नहीं कर सकती, क्योंकि ये उनका अधिकार क्षेत्र नहीं है.
दिल्ली महिला आयोग का विवाद भी काफी चर्चा में रहा था. दिल्ली सरकार ने बिना उपराज्यपाल की मंजूरी लिए स्वाति मालीवाल को दिल्ली महिला आयोग का अध्यक्ष बना दिया था. इस मसले ने विवाद का रूप ले लिया था. विवाद होने पर भी दो दिन बाद सरकार ने उप राज्यपाल की मंजूरी के लिए नाम भेजा था.
इसके साथ ही महिला आयोग में सदस्य सचिव की नियुक्ति को लेकर भी दोनों के बीच तकरार हुई थी. उपराज्यपाल जंग ने आईएएस अधिकारी दिलराज कौर की नियुक्ति कर दी थी, जिसे केजरीवाल ने अस्वीकार कर दिया था.
मई 2016 में दिल्ली के कार्यकारी मुख्य सचिव के रूप में शकुंतला गैमलिन को नियुक्त करने के मामले में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच तीखी जुबानी जंग छिड़ी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गैमलिन को यह पद नहीं संभालने को कहा था, लेकिन उसके बावजूद गैमलिन ने कार्यकारी मुख्य सचिव का चार्ज ले लिया था.
इस पर दिल्ली सरकार ने बीजेपी पर उपराज्यपाल के जरिये 'तख्तापलट' करने का आरोप तक लगा दिया था.
400 फाइलों की समीक्षा के लिए एलजी ने शुंगलू कमेटी बनाई थी. यह कमेटी इस जांच के लिए बनाई गई थी, क्योंकि आरोप थे कि इन फाइलों में तय नियमों का ध्यान नहीं रखा गया. इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार ने एलजी नजीब जंग को शुंगलू कमेटी को भंग करने का सुझाव दिया था.
दिल्ली सरकार का कहना था कि एलजी और ऑफिसर को फाइल देखने का अधिकार है, लेकिन कमेटी बना देना उनके अधिकार क्षेत्र में ही नहीं है. दिल्ली मंत्रिमंडल ने शुंगलू समिति की रिपोर्ट को ही असंवैधानिक करार दे दिया था.
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