Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019 संडे व्यू : वर्ल्ड कप में जीत के 6 गुरुमंत्र, खतरनाक है 5G

संडे व्यू : वर्ल्ड कप में जीत के 6 गुरुमंत्र, खतरनाक है 5G

वोटरों का भरोसा जीतना जरूरी, वेलनेस इंडस्ट्री से करें तौबा

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
सुबह मजे से पढ़ें संडे व्यू जिसमें आपको मिलेंगे अहम अखबारों के आर्टिकल्स. (फोटो: iStockphoto)
i
सुबह मजे से पढ़ें संडे व्यू जिसमें आपको मिलेंगे अहम अखबारों के आर्टिकल्स. (फोटो: iStockphoto)
null

advertisement

वोटरों का भरोसा जीतना अधिक जरूरी

पी चिदम्बरम ने जनसत्ता में लिखा है कि बीजेपी ने निश्चित रूप से 303 सीटें जीतकर आश्चर्यचकित कर दिया है. केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में बड़ी सफलता बीजेपी ने हासिल की है.

न सिर्फ सवर्ण जातियों के सारे वोट बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग, दलित, मुसलमान और इसाइयों के भी काफी वोट बीजेपी ने हासिल किए हैं. मगर, चिदम्बरम आगाह करते हैं कि वोट हासिल करने से ज्यादा जरूरी है भरोसा हासिल करना.
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम (फोटो: Reuters)

इसमें जोखिम भी है और मुश्किलें भी. वे गिरिराज सिंह, साध्वी निरंजन ज्योति और संजीव बालियान जैसे नेताओँ को जोखिम बताते हैं तो कैबिनेट से दूर रखे गये महेश शर्मा, अनंत कुमार हेगड़े, साक्षी महाराज, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर जैसे नेताओं के नाम भी इसी कड़ी में गिनते हैं.

चिदम्बरम लिखते हैं कि भाजपा विश्वास तभी जीत सकती है जब उसके राज में कोई खौफ में नहीं रहे और लोगों के आर्थिक स्तर में सुधार होता रहे. इसके लिए जरूरी है कि अपराधी और सज़ा न देने वालों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए.

लेखक का मानना है कि दलित, मुसलिम, ईसाई और गरीबी रेखा से नीचे के तबके के लोगों ने किसी दूसरे उम्मीदवार को जीतता हुआ नहीं पाकर बीजेपी को वोट जरूर दिया है लेकिन ये विश्वास का वोट नहीं था. उनका भरोसा जीतने के लिए बहुत कुछ करना होगा.

वर्ल्ड कप में जीत के ये हैं 6 गुरुमंत्र

सुरेश मेनन ने द हिन्दू में विश्व कप क्रिकेट के उद्घाटन मैच से भारत के लिए 6 सीख खोज निकाला है जो वर्ल्ड कप के गुरुमंत्र कहे जा सकते हैं. यह मैच इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच खेला गया था. माना जाता है कि इंग्लैंड की टीम 500 रन का स्कोर खड़ा करने का दमखम रखती है. पहली सीख है- संख्या से बेहतर होती है गुणवत्ता.

इंग्लैंड के विश्लेषणकर्ता मानते हैं कि दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इंग्लैंड ने 64 रन बचाए जबकि पाकिस्तान के खिलाफ 17 रन गंवाए. कैच का छूटना भारी पड़ा. दूसरी सीख है नजदीकी मुकाबले फिल्डिंग पर निर्भर होते हैं. पाकिस्तान का सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज (मोहम्मद हाफिज) 10 ओवरों में 53 रन देकर 2 विकेट लेता है. हाफिज-मलिक की ऑफ स्पिन जोड़ी कमाल करती है. भारत के रविद्र जडेजा बेहतर खेल दिखा सकते हैं.

तीसरी सीख है कि दो हाफ बॉलर्स जो बैटिंग नहीं कर सकते, उनसे बेहतर है एक फुल बॉलर्स जो बैटिंग कर सकते हैं. इंग्लैंड के आखिरी 5 बल्लेबाजों ने 54 रन जोड़े जो 300 के आसपास के स्कोर का पीछा करने लिहाज से बहुत कम है. चौथी सीख है कि नीचे के मध्यक्रम में स्लॉग ओवर खेलने वाले खिलाड़ी कई बार कमजोरी बन जाते हैं. भारत की कमजोरी ये है कि शीर्ष 5 बल्लेबाजों में कोई भी गेंदबाज नहीं है. केदार जाधव होते, मगर शायद ही उन्हें मौका मिल पाए.

पांचवीं सीख है कि टीम के चयन में संतुलन ही सफलता की कुंजी है. दुनिया में विराट कोहली, जो रूट और केन लियिम्सन जैसे चंद खिलाड़ी ही हैं जो किसी भी गेंदबाजी के धुर्रे उड़ा सकती है. ऐसे में संतुलित टीम ही जीत दिला सकती है. छठी सीख है कि अपील को प्रभावशाली बनाया जाए.

कांग्रेस ने सिर्फ नारे दिए, मोदी ने यथार्थ में बदला

एसए अय्यर ने टाइम्स ऑफ इंडिया के अपने नियमित कॉलम स्वामीनॉमिक्स में लिखा है कि कांग्रेस ने केवल नारे दिए, जबकि मोदी ने नारों को यथार्थ में बदलकर दिखाया. कांग्रेस की हार और बीजेपी की जीत की वजह ही यही है. कांग्रेस के विरोध के बीच नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने क्रमश: महंगे सूट और भूमि अधिग्रहण से शुरू में ही तौबा कर लिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(फाइल फोटो: Facebook)
मोदी को यह आभास था कि छवि बहुत महत्वपूर्ण होती है. मोदी ने कल्याणकारी मार्ग अपनाया. यूपीए सरकार की लोककल्याणकारी योजनाओं के मुकाबले बेहतर तरीके से स्वच्छ भारत, जन धनयोजना, सौभाग्य योजना, उज्जवला और पीएम-किसान योजना को लागू कर दिखाया.

कांग्रेस गरीब, पिछड़े और अल्पसंख्यकों के साथ खड़े होने का दावा करती रही. मगर, वास्तव में ऐसा होता तो गरीबी हटाओ के नारे अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाए. कांग्रेस ने 1989 या 2014 का चुनाव भ्रष्टाचार के कारण हारी. मगर, भ्रष्टाचार मिटाने के साथ पार्टी खुद को नहीं जोड़ सकी. वहीं मोदी ने साबित कर दिखाया कि केवल वही गरीबों के लिए काम कर सकते हैं.

ओडिशा में नवीन और बिहार में नीतीश जैसा एक भी मुख्यमंत्री कांग्रेस के पास नहीं है जो यह बता सकें कि वे व्यक्तिगत रूप से भ्रष्ट नहीं हैं. इसलिए राहुल के लिए संदेश यही है कि वह कांग्रेस शासित राज्यों में अपने प्रदर्शन से खुद को साबित करे.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

घाटी में शांति की पहल का सही वक्त

तवलीन सिंह ने जनसत्ता में लिखा है कि कश्मीर घाटी अक्सर गलत ख़बरों की वजह से चर्चा में रहता है. ईद के दिन सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीर में आईएसआईएस के काले झंडे हाथों में लिए ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे वाली तस्वीर भी ऐसी ही ख़बर रही. बगैर युद्ध के मुठभेड़ में शहीद होते जवान और हिंसा की ख़बरें भी आए दिन मिलती रहती हैं.

लेखिका कहती हैं कि श्रीनगर में हिंसा का दौर शुरू होने के वक्त और अब में बड़ा फर्क ये आया है कि लोग हिंसा से अब थक गये हैं. इस स्थिति का फायदा उठाते हुए नरेंद्र मोदी कश्मीर घाटी में शांति बहाल करने की कोशिश नये सिरे से कर सकते हैं.

तवलीन सिंह लिखती हैं कि पिछली दफा नरेंद्र मोदी ने कश्मीर में शांति बहाली का मौका खो दिया था. बाढ़ राहत का पैकेज कभी लोगों तक नहीं पहुंचा. अगर ऐसा होता तो मोदी विश्वास जीत सकते थे. घाटी में अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए सम्मान होने की बात कहते हुए वह लिखती हैं कि कश्मीरियत, इंसानियत और जम्हूरियत की नीति को अब भी लोग याद करते हैं.

5G के खतरे

बिदिशा बिश्वास ने द टेलीग्राफ में 5जी के ख़तरों से आगाह किया है. शोधकर्ताओँ के हवाले से उन्होंने लिखा है कि नीदरलैंड में यह बात सबसे पहले पता चली कि मुरझाते पत्ते, सूखते पेड़ की वजह आसपास मौजूद तकनीकी रेडिएशन के 6 स्रोत थे.

डेनामार्क में एक और अध्ययन से यह बात सामने आयी कि वाई-फी रेडिएशन की वजह से पौधे समय से पहले दम तोड़ रहे हैं. पौधों से अधिक जीव-जन्तुओँ पर तकनीकी रेडिएशन का दुष्प्रभाव पड़ रहा है. रेडियो फ्रीक्वेन्सी-इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स के कारण पक्षियों और कीटों में प्रजनन क्षमता घट रही है. बेल्जियम में वैज्ञानिकों ने चेताया है कि 5 जी प्रॉजेक्ट लोगों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम मुक्त नहीं है.

भारत में 5जी को 2020 तक लागू करने की घोषणा टेलीकॉम मिनिस्टर रविशंकर प्रसाद ने की है. यह अब रहस्य नहीं रह गया है कि 5 जी तकनीक के सिग्नल ट्रांसमिशन के लिए बाधारहित रास्ता चाहिए. 5जी का सिग्नल वहां अधिक मजबूत होता है जहां पेड़ नहीं होते हैं.

इसलिए पत्तियों के मुरझाने की वजह भी साफ हो चुकी है. लेखिका ने आगाह किया है कि वायरलेस संचार उपकरण खतरनाक हैं. इसे लोग अपने से दूर रखें. फोन पर बात करने के बजाए टेक्स्ट मैसेज दें. जब उपयोग ना हो, वाई-फाई बंद रखें. हम तकनीक से दूर नहीं रह सकते लेकिन तकनीक पर जीव जगत के स्वास्थ्य को वरीयता देना जरूरी है.

वेलनेस इंडस्ट्री से तौबा करें

उपन्यासकार जेसिका नॉल ने द न्यूयॉर्क टाइम्स में वेलनेस इंडस्ट्री के बुरे नतीजों से दुनिया को आगाह किया है और इसे खत्म करने की वकालत की है. वह लिखती हैं कि कुछ महीने पहले जब वह फिल्म से जुड़ी एक टीम के साथ दोपहर का खाना खा रही थीं तब ऑर्डर लेने आई सर्वर को देखकर एक फिल्म की याद हो आयी.

रोमी एंड मिशेल्स् हाई स्कूल रीयूनियन नामक इस फ़िल्म में मीरा सोर्विनो डिनर क लिए एक कम कपड़ों वाले सूट में आती है और इंतज़ार कर रहे लोगों से पूछती हैं, “क्या आपको किसी खास बिजनेसवुमन की ज़रूरत है?” आज हमारी टीम का कोई सदस्य उस बिजनेस वुमन को स्वीकार नहीं करता. लेखिका लिखती हैं कि ऐसी कमजोर, बीमार महिला की जरूरत किसी को नहीं.

लेखिका याद करती हैं कि किसी समय उन्होंने भी अपनी स्थिति में बदलाव के लिए काफी मेहनत की थी और दुबले होने के लिए सारे प्रयास किए. शादी के लिए अलग से तैयारी की. 800 कैलोरी ऊर्जा लेकर दिन में दो बार काम किया. शादी के बाद भोजन के प्रति लगाव कुछ ज्यादा ही हो गया. लेखिका का मानना है कि वेलनेस इंडस्ट्री के नाम पर जो कुछ हो रहा है वह ख़तरनाक है.

पढ़ें ये भी: ईडी केस: राघव बहल का वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लेटर

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 09 Jun 2019,08:48 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT