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देशभर में लगभग 6,000 गैर-सरकारी संगठनों (NGO) के लिए 2022 की शुरुआत भयानक खबर के साथ हुई है- उनका फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन (रेग्युलेशन) एक्ट (FCRA) का रजिस्ट्रेशन समाप्त हो गया है. इसका यह मतलब है कि विदेशी धन, जो हर दिन के कामों के लिए जरूरी है उसे या तो छीन लिया गया है या पहुंच से बाहर कर दिया गया है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक शनिवार, 1 जनवरी से पहले 22,762 एनजीओ एफसीआरए के तहत रजिस्टर्ड थे. गृह मंत्रालय की वेबसाइट से पता चलता है कि यह संख्या अब काफी कम होकर 16,829 हो गई है.
जिन संगठनों का एफसीआरए पंजीकरण समाप्त हो गया है, उनमें जामिया मिल्लिया इस्लामिया, ऑक्सफैम इंडिया और यहां तक कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) भी शामिल हैं.
यह घोषणा गृह मंत्रालय द्वारा मदर टेरेसा के मिशनरीज ऑफ चैरिटी के एफसीआरए लाइसेंस को नवीनीकृत करने से इनकार करने के कुछ दिन बाद आई है.
लेकिन FCRA रजिस्ट्रेशन क्या है और यह क्यों जरूरी है?
फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन (रेग्युलेशन) एक्ट (FCRA) मूल रूप से 1976 लागू हुआ था ताकि देश में विदेशों से आ रहे पैसों को रेग्युलेट किया जा सके. 2010 में इस पुराने कानून को निरस्त कर एक नया FCRA अधिनियमित किया गया था.
FCRA) के तहत कुछ ऐसे लोग हैं जो किसी भी परिस्थिति में विदेशी योगदान (नकद दान या फिर उपहार) प्राप्त नहीं कर सकते हैं फिर भले ही वो चुनाव में खड़ा उम्मीदवार हो, समाचार पत्रों के संपादक या प्रकाशक हो, न्यायाधीश, लोक सेवक, संसद के सदस्य और राज्य विधायिका और यहां तक कि राजनीतिक दल भी हो.
वहीं चैरिटी का काम करने वाले संगठन विदेशी योगदान प्राप्त कर सकते हैं अगर इसमें पंजीकरण करते हैं या विदेशी धन प्राप्त करने के लिए पूर्व अनुमति प्राप्त करते हैं.
विदेश से डोनेशन पाने के लिए FCRA पंजीकरण जरूरी है. वास्तव में हर एसोसिएशन, समूहों और गैर सरकारी संगठनों के लिए जो विदेशी चंदा लेना चाहते हैं उन्हें एफसीआरए के तहत अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य है.
यह पंजीकरण पांच साल तक के लिए वैध रहता है और इसके आखिर में इसे नवीनीकृत किया जा सकता है और यह प्रक्रिया जटिल नहीं है.
उदाहरण के लिए द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑक्सफैम इंडिया जो आदिवासियों, दलितों और मुसलमानों के बीच आर्थिक और लैंगिक न्याय के लिए काम करता है, उसने बैंक खाते में ₹62 करोड़ से अधिक की पहुंच खो दी है. संगठन के कुछ सबसे बड़े दाताओं में ऑक्सफैम ऑस्ट्रेलिया, ऑक्सफैम जर्मनी, ऑक्सफैम ग्रेट ब्रिटेन और स्टिचिंग ऑक्सफैम इंटरनेशनल जो नीदरलैंड में हैं.
दरअसल अधिकतर NGOs कम-विशेषाधिकार वाले, हाशिए पर रहने वाले या कमजोर आबादी के बीच अपने कल्याण और दान संबंधी गतिविधियों के संचालन के लिए विदेशी धन पर बहुत ज्यादा निर्भर होते हैं. इस प्रकार एफसीआरए में उनका पंजीकरण होना जरूरी है.
मीडिया रिपोर्ट्स ने गृह मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से कहा है कि मंत्रालय ने 179 NGOs के एफसीआरए पंजीकरण को नवीनीकृत करने से इनकार कर दिया है. इसके अलावा रिपोर्ट्स के अनुसार, 5,789 अन्य ने 31 दिसंबर की समय सीमा से पहले नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया हे.
FCRA में साल 2020 में किए गए संशोधन के अनुसार आप किसी अन्य व्यक्ति/संगठन को विदेशों से आए धन को स्थानांतरित नहीं कर सकते. साथ ही हर एफसीआरए-पंजीकृत संगठन को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, दिल्ली ब्रांच में एक एफसीआरए खाता खोलना जरूरी है ताकि वो धन प्राप्त कर सकें.
इन मामलों पर काम करने वाले लोगों ने द क्विंट को बताया कि FCRA में जब पंजीकरण और नवीनीकरण की बात आती है तो अधिकतर प्रक्रिया लिखित में नहीं होती. दोनों के लिए प्रक्रिया में लंबा समय लगता है.
ऑक्सफेम इंडिया ने रविवार 2 जनवरी को कहा कि रिन्यू करने के लिए दिया गया आवेदन रद्द होने से विदेशों से हो रही फंडिंग का नुकसान होगा जिसकी उसे 16 राज्यों में मानवीय और सामाजिक कार्य जारी रखने में जरूरत पड़ेगी.
वहीं गैर सरकारी संगठनों के लिए एक ऑनलाइन भुगतान मंच 'दानामोजो' के संस्थापक धवल उदानी ने द हिंदू को बताया कि यह "ऐसा मामला भी नहीं लगता है जहां एनजीओ को पहले से सूचित किया गया. 30 प्रतिशत एनजीओ एक ही बार में हटा दिए गए हैं और कोई कारण नहीं दिया गया.”
इसके अलावा भी कई संगठनों ने ट्विटर पर इसका विरोध किया और जानकारी साझा की है.
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