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2016: पिछले साल से दोगुने जवान शहीद, अब तक 60 जवानों ने गवांई जान

इस साल दो बड़े हमलों की वजह से हमारे ज्यादा जवान शहीद हुए है. एक उरी हमला और दूसरा नगरोटा हमला.

पल्लवी प्रसाद
भारत
Published:
जम्मू-कश्मीर में 60 जवानों की 2016 में जान गई (फोटो: Reuters)
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जम्मू-कश्मीर में 60 जवानों की 2016 में जान गई (फोटो: Reuters)
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भारत को दुश्मन से बचाते हुए भारतीय आर्मी के 60 जवान साल 2016 में शहीद हुए हैं. यह आंकड़ा 15 दिसंबर तक का है. जबकि साल 2014 में 32 जवान और 2015 में 33 जवान शहीद हुए थे.

इसके साथ ही इस साल जवानों के शहीद होने की वजह भी बढ़ गईं हैं. इसके पीछे सीजफायर उल्लंघन, घुसपैठ, एलओसी पर पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई और आतंकवादी हमले वजह हैं.

  • इस साल 23 जवान एलओसी पर शहीद हुए. जबकि 2014 में 5 और 2015 में यह संख्या 4 थी.
  • आतंकवादी मुठभेड़ में 37 जवान शहीद हुए. जबकि 2014 में 27 और 2015 में यह संख्या 29 थी.
  • सबसे बड़ा हमला उरी और नगरोटा में हुआ था जहां क्रमश: 19 और 7 जवानों ने जान गंवाई.
  • साल 2016 में 100 आतंकवादियों को मार गिराया है.

दो बड़े हमले

साल 2016 में आतंकी हमलों की तादाद बढ़ी है. कश्मीर के मुद्दे की वजह से भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल रहा है. इसका खामियाजा भारतीय आर्मी जवानों को भुगतना पड़ा है.

इस साल दो बड़े हमलों की वजह से हमारे ज्यादा जवान शहीद हुए है. एक उरी हमला और दूसरा नगरोटा हमला. इन दोनों हमलों को मिलाकर कुल 26 जवान शहीद हुए.
इंडियन आर्मी ऑफिशियल

उरी हमले में भारत के 19 जवानों की जान चली गई थी. इसके कुछ ही दिनों बाद भारतीय सेना ने पीओके में घुसकर पाकिस्तान से बदला ले लिया था.

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से पाकिस्तान की तरफ से भारत-पाक सीमा पर लगातार सीजफायर का उल्लघंन हो रहा है. सीमापार से आए दिन गोलीबारी, मोर्टार आदि चलाए जाते हैं. भारत भी जवाबी कार्रवाई करता रहा है.

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