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दुनियाभर में गर्भपात को लेकर जारी बहस के बीच, एक सर्वे में सामने आया है कि 63 फीसदी भारतीय गर्भपात को वैध बनाने के समर्थन में हैं. Ipsos के सर्वे के मुताबिक, हर 5 में से 1 भारतीय का मानना है कि देश में गर्भपात को कानूनी मंजूरी मिलनी चाहिए. वहीं, 24% भारतीय इसके खिलाफ हैं. बता दें कि भारत में कुछ परिस्थितियों में गर्भपात वैध है.
भारत में 35% लोग ऐसे थे, जो गर्भपात को पूरी तरह से वैध बनाने के पक्ष में हैं. वहीं, 28% का कहना है कि रेप जैसी कुछ परिस्थितियों में इसकी अनुमति होनी चाहिए. करीब 18% लोगों का मानना है कि गर्भपात की इजाजत तभी होनी चाहिए जब मां की जिंदगी खतरे में हो. वहीं 13% लोग गर्भपात के एकदम खिलाफ थे.
ग्लोबल सर्वे से पता चलता है कि कुछ देश गर्भपात को लेकर प्रोग्रेसिव हैं, क्योंकि ये महिलाओं को चुनने का अधिकार देता है कि वो प्रेगनेंसी रखना चाहती हैं या नहीं.
यूरोप में करीब 80% लोगों का कहना है कि गर्भपात को कानूनी रूप से वैध बनाना चाहिए. इसे सबसे ज्यादा समर्थन स्वीडन में मिला, जहां 88% लोग इसे वैध करने के पक्ष में हैं.
यूरोप से बाहर, गर्भपात को सबसे ज्यादा समर्थन दक्षिण कोरिया (79%), ऑस्ट्रेलिया (78%) और कनाडा (77%) में मिला. गर्भपात के सबसे खिलाफ मलेशिया था, जहां केवल 24% लोगों ने कहा कि गर्भपात को कुछ परिस्थितियों में वैध करना चाहिए.
Ipsos के इस सर्वे में अमेरिका, मलेशिया, तुर्की समेत कुल 25 देशों के कुल 17,997 लोगों का इंटरव्यू लिया गया. इन लोगों की उम्र 18-74 साल के बीच थी. ग्लोबल एडवाइजर प्लेटफॉर्म पर ये सर्वे 22 मई से 5 जून के बीच किया गया.
सर्वे में अधिकतर महिलाओं ने गर्भपात का समर्थन किया. वहीं, ये भी देखने को मिला कि उच्च शिक्षा पाने वाले लोग इसे लेकर ज्यादा ओपन हैं. इनका मानना है कि गर्भपात महिला का फैसला होना चाहिए.
भारत में कुछ परिस्थितियों में गर्भपात की इजाजत है. कैबिनेट ने जनवरी 2020 में मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट 1971 में संशोधन किया था. भारत में गर्भवती महिला की जिंदगी खतरे में होने, रेप के कारण गर्भधारण होने पर गर्भपात कराया जा सकता है. गर्भनिरोधक दवाई के असर न करने पर भी महिलाएं गर्भपात करा सकती हैं.
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