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जीएसटी के कई महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अभी फैसला लिया जाना बाकी है. रेट, सेस और करदाताओं पर प्रशासनिक नियंत्रण जैसे कई मसलों पर फैसला लेने के लिए जीएसटी काउंसिल की गुरूवार से दो दिवसीय मीटिंग शुरू हो रही है.
राज्य के एडवाइजर प्रवीन चक्रवर्ती ने अनुसार, पिछली तीन मीटिंग में राज्यों को मुआवजा देने का मुद्दा, मतदाताओं के अधिकार और माल की कीमत पर चर्चा की गई थी.
जीएसटी लागू होने के बाद राज्य सीधे जनता से टैक्स नहीं ले सकता है. उसे किसी भी योजना के फंड के लिए केन्द्र के पास ही जाना होगा.
ये 6 राज्य देश के सबसे बड़े राज्य हैं. देश की 40 फीसदी जनता इन्हीं राज्यों में रहती है, कुल टैक्स का 40 फीसदी यहां से आता है, देश की 30 फीसदी जीडीपी यहां से आती है. इसलिए जीएसटी लागू करने में इन राज्यों का बड़ा योगदान है.
यह सवाल उठना भी लाजमी है कि इन 6 राज्यों में संविधान संशोधन को अभी तक मंजूरी क्यों नहीं मिल पाई?
जीएसटी में होने वाली कुछ चीजों को याद रखना जरूरी है. एक, जीएसटी लागू होने के बाद राज्य अपना वजूद खो देगा, उन्हें हर एक काम के लिए केन्द्र पर निर्भर रहना होगा. दूसरा, एक सच यह भी है कि भारत के 6 राज्यों की इकनॉमी शेष 23 राज्यों की इकोनॉमी के बराबर है. उदहराण के तौर पर, तमिलनाड़ु का रिवेन्यू हिमाचल प्रदेश से दस गुना ज्यादा है. राज्यों के बीच इकनॉमी में इतना बड़ा अंतर होने के कारण, राज्य स्वाभाविक रूप से आशंकित हो गए हैं, जबकि हिमाचल प्रदेश और सिक्किम में एक वोट और एक आवाज है.
अगर केंद्र की यह योजना लागू हो जाती है तो ब्रांडेड हेयर ऑयल, ब्रांडेड शैम्पू, पैकेज्ड चिकन, इलेक्ट्रॉनिक फैन पर भी सेस लागू होगा. क्योंकि यह सब लग्जरी आइटम है और आज की तुलना में 26 फीसदी ज्यादा टैक्स लगेगा.
अब इस पर भी दो तर्क आते हैं. एक, यह जरूरी नहीं है कि बिहार में माना जाने वाला लग्जरी आइटम तमिलनाड़ु में भी लग्जरी आइटम माना जाए. तमिलनाड़ु में लोग बिहार के मुकाबले अंडा, मीट, मछली दो गुना ज्यादा खाते हैं. तमिलनाड़ु में 70 फीसदी लोग ब्रांडेड पेस्ट और साबुन का इस्तेमाल करते हैं. ऐसा उत्तर प्रदेश में बिल्कुल नहीं है. सरकार को इस धारणा को जानना जरूरी है कि राज्य के लिए क्या लग्जरी आइटम है, और देश के लिए क्या लग्जरी नहीं है.
दूसरा, अगर यह सेस लागू हो जाता है तो कुछ राज्यों में तो मंहगाई बढ़ जाएगी और कुछ राज्यों में मंहगाई नहीं बढ़ेगी.
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