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यूपीए-2 सरकार में टेलीकॉम मिनिस्टर रहे ए. राजा का मानना है कि विनोद राय ने CAG के पद की गरिमा से 'बड़ा समझौता' किया था. राजा का कहना है कि 2010 के 2जी स्पेक्ट्रम मामले के ऑडिट में उन्होंने अपने संवैधानिक काम के दायरे को जरूरत से ज्यादा बढ़ा दिया था, जिसके पीछे उनका कुछ 'मकसद' रहा होगा.
ए. राजा को कथित 2जी घोटाले केस में अदालत ने हाल में बरी किया है. राजा ने अपनी किताब 2जी सागा अनफोल्ड्स में कई बड़ी बातों का जिक्र किया है.
ए राजा ने विनोद राय की किताब नेशंस कांशियंस कीपर का जिक्र कर कहा कि सरकार के महालेखाकार के रूप में वह सूत्रधार थे, जिन्होंने कपट का मायाजाल रचा, जिसका मीडिया और विपक्षी पार्टियों ने फायदा उठाया. विनोद राय ने अपनी इस किताब में कथित 2जी घोटाले के बारे में विस्तार से लिखा है.
ए. राजा ने अपनी किताब में लिखा है:
अपनी किताब में ए. राजा ने लिखा है:
ये किताब दिसंबर में सीबीआई अदालत से राजा के बरी होने से बहुत पहले ही पूरी हो चुकी थी. किताब में राजा ने अपना पक्ष रखते हुए बताया है कि कैसे स्पेक्ट्रम आवंटन के फैसले में उन्होंने नियमों का पालन किया, साथ ही तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत इससे जुड़े सभी लोगों को प्रक्रिया की जानकारी दी.
उन्होंने लिखा है कि उस समय काफी दुख हुआ था, जब सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने 'गलत कहानियों और मीडिया की सनसनीखेज रिपोर्टिंग की वजह से' 2007 में 122, 2जी लाइसेंस रद्द कर दिए थे.
राजा को मनमोहन सिंह और तत्कालीन कैबिनेट मंत्री पी. चिदंबरम से भी शिकायत है, जो तब 'चुप' रहे, जब केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी), सीबीआई, संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) और सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष को सुनने से इनकार कर दिया था.
इस बारे में राजा कहते हैं:
राजा ने 10 मई, 2017 को पूरी हुई 222 पेज की किताब की प्रस्तावना में लिखा, "मैंने अपने खिलाफ दायर आपराधिक मामलों में अदालत से किसी तरह की दया की मांग नहीं की थी, लेकिन मैं कानून के नियमों को लागू करने के तरीके से विचलित हूं."
कैग की रिपोर्ट के जारी होने के बाद ए. राजा को यूपीए-2 सरकार में दूरसंचार मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
(इनपुट: IANS)
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