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हाल ही में बेंगलुरु की एक रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन, सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी (CIS) ने करीब 13 करोड़ लोगों के आधार कथित तौर पर 'लीक' होने की आशंका जताई थी. अब आधार कार्ड की रेगुलेटरी अथॉरिटी UIDAI ने इस ऑर्गेनाइजेशन को चिट्ठी लिखकर कथित लीक पर डिटेल रिपोर्ट मांगी है.
बता दें कि CIS की रिपोर्ट के मुताबिक कई सरकारी विभागों की वेबसाइट्स से कथित तौर पर डेटा सार्वजनिक हो गए हैं. इनमें लोगों की वित्तीय जानकारी और आधार नंबर भी शामिल है. दावा किया गया कि ऐसा वेबसाइट्स के कमजोर सिक्योरिटी के फीचर्स के कारण हुआ है.
ऐसे में UIDAI ने CIS को डेटा चोरी में शामिल लोगों का विवरण देने के लिए कहा है. आधार सिस्टम आईटी एक्ट, 2000 के सेक्शन 70 के तहत आता है. इन धाराओं के उल्लंघन पर 10 साल तक की सजा हो सकती है. UIDAI ने CIS को 30 मई से पहले जवाब देने के लिए कहा है.
UIDAI की चिट्ठी में कहा गया है, ‘’आपकी (CIS)की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी वेबसाइट्स की आईटी सिक्योरिटी को और मजबूत करने की जरूरत है. लेकिन ये भी जरूरी है कि ऐसी संवेदनशील जानकारियों को हैक करने वालों को कानून की जद में लाया जाए, इसके लिए आपकी सहायता की आवश्यकता है.’’
UIDAI ने उन सभी लोगों का विवरण देने के लिए कहा है जिसे इस कथित लीक के बाद डेटा साझा किया गया. इसके लिए UIDAI ने CIS को 30 मई तक का समय दिया है.
वहीं, सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी (CIS) की वेबसाइट पर सफाई के तौर पर एक अपडेटेड जानकारी देखने को मिल रही है. डेटा 'लीक' होने के शब्द को हटा दिया गया है.
हाल ही में UIDAI के सीईओ डॉ. अजय भूषण ने कहा था कि आधार कार्ड से संबंधित डेटा के लीक होने के डर से सभी को निश्चिंत रहना चाहिए, क्योंकि UIDAI से डेटा लीक होना नामुमकिन है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि आधार कार्ड धारकों को अपनी प्राइवेसी को लेकर भी निश्चिंत रहना चाहिए, क्योंकि UIDAI ने आधार कार्ड धारकों की प्राइवेसी को लेकर पूरा ध्यान रखा है.
किसी की भी प्राइवेसी भंग नहीं होगी. उन्होंने कहा था कि आधार से संबंधित डेटा लीक करने या उसका गलत इस्तेमाल करने वालों के लिए आधार एक्ट के तहत सजा का भी प्रावधान रखा गया है.
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