Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019आधार केसः केंद्र ने SC में कहा प्राइवेसी मौलिक अधिकार, लेकिन सशर्त

आधार केसः केंद्र ने SC में कहा प्राइवेसी मौलिक अधिकार, लेकिन सशर्त

चार गैर-बीजेपी शासित राज्य प्राइवेसी के अधिकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे

द क्विंट
भारत
Published:
सुप्रीम कोर्ट
i
सुप्रीम कोर्ट
(फोटोः PTI)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट में आधार को लेकर चल रहे प्राइवेसी का अधिकार, मौलिक अधिकार है या नहीं, मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा है कि प्राइवेसी का अधिकार मौलिक अधिकार है, लेकिन हर पहलू मौलिक अधिकार का हिस्सा नहीं माना जा सकता. केंद्र सरकार के एटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में कहा कि प्राइवेसी का अधिकार, स्वतंत्रता के अधिकार का ही हिस्सा है, लेकिन इसके अलग-अलग पहलू हैं और यह अलग-अलग हालातों पर निर्भर करेगा.

कर्नाटक और पश्चिम बंगाल समेत चार गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने निजता के अधिकार को संविधान के तहत मौलिक अधिकार घोषित करने के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई में हस्तक्षेप करने की इजाजत मांगी है. कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के अलावा कांग्रेस के नेतृत्व वाले पंजाब और पुडुचेरी ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार के विपरीत रुख अपनाया है.

प्राइवेसी का हर पहलू मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं पा सकता

केंद्र सरकार ने कहा कि प्राइवेसी का हर पहलू मौलिक अधिकार का दर्जा नहीं पा सकता. प्राइवेसी का अधिकार जीवन के अधिकार के सामने कोई महत्व नहीं रखता है. अगर इस मामले में कोई भी टकराव होता है तो जीवन का अधिकार ही ऊपर रहेगा.

एटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने चीफ जस्टिस जे.एस. केहर के नेतृत्व वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ से कहा, “निजता मौलिक अधिकार है, लेकिन यह निर्बाध नहीं है, यह सशर्त है, क्योंकि निजता के अधिकार में विभिन्न पहलू शामिल होते हैं और इसके प्रत्येक पहलू को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता है.” 

केंद्र सरकार की ओर से एटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल ने कोर्ट में कहा कि क्या कोई यह कह सकता है कि उसके प्राइवेसी के अधिकार को संरक्षित रखने के लिए दूसरे के भोजन के अधिकार का उल्लंघन हो जाए. प्राइवेसी का अधिकार स्वतंत्रता के अधिकार के अंदर है और वह जीवन के अधिकार के अधीन है. आधार कार्ड, गरीबों के जीवन के अधिकार जैसे भोजन के अधिकार और आश्रय के अधिकार से जुड़ा हुआ है. अगर इससे कुछ लोगों का प्राइवेसी का अधिकार प्रभावित हो रहा है तो दूसरी तरफ यह बड़ी संख्या में लोगों के जीवन के अधिकार को सुनिश्चित भी कर रहा है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

प्राइवेसी के अधिकार की रुपरेखा पर नए सिरे से गौर करने की जरुरत

कर्नाटक और पश्चिम बंगाल के अलावा कांग्रेस के नेतृत्व वाले पंजाब और पुडुचेरी ने भी प्राइवेसी के मुद्दे पर केंद्र सरकार के विपरीत रुख अपनाया है. इन चार राज्यों का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीयस संविधान पीठ के समक्ष अपनी बात रखी.

सिब्बल ने कहा कि तकनीकी प्रगति को देखते हुए आज के दौर में प्राइवेसी के अधिकार और इसकी रुपरेखा पर नए सिरे से गौर करने की जरुरत है.

सिब्बल ने पीठ के सामने कहा, ‘‘प्राइवेसी एक परम अधिकार नहीं हो सकता. लेकिन यह एक मूलभूत अधिकार है. इस न्यायालय को इसमें संतुलन लाना होगा.”

इस मामले में की अगली सुनवाई कल गुरुवार को होगी. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में जस्टिस एसए बोबड़े, जस्टिस आरके अग्रवाल, जस्टिस रोहिन्टन फली नरिमन, जस्टिस अभय मनोहर सप्रे, जस्टिस धनन्जय वाई चन्द्रचूड, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल हैं.

(हमें अपने मन की बातें बताना तो खूब पसंद है. लेकिन हम अपनी मातृभाषा में ऐसा कितनी बार करते हैं? क्विंट स्वतंत्रता दिवस पर आपको दे रहा है मौका, खुल के बोल... 'BOL' के जरिए आप अपनी भाषा में गा सकते हैं, लिख सकते हैं, कविता सुना सकते हैं. आपको जो भी पसंद हो, हमें bol@thequint.com भेजें या 9910181818 पर WhatsApp करें.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT