advertisement
यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने 127 लोगों को आधार के लिए फर्जी दस्तावेज देने के आरोप में नोटिस भेजा है. जिसमें उनकी नागरिकता को लेकर सवाल भी उठाए गए थे. अब इस मामले पर UIDAI ने सफाई दी है.
(UIDAI) ने मंगलवार को कहा कि उनकी हैदराबाद ऑफिस ने कथित तौर पर गलत तरीका अपनाकर आधार नंबर हासिल करने वाले 127 लोगों को नोटिस भेजा है. लेकिन इसका नागरिकता से कोई लेना-देना नहीं है. UIDAI के मुताबिक ये नोटिस पुलिस की रिपोर्ट के बाद जारी किया गया है.
UIDAI ने अपने स्टेटमेंट में कहा, “आधार नागरिकता का दस्तावेज नहीं है और आधार एक्ट के तहत आधार के लिए आवेदन करने से पहले किसी व्यक्ति को 182 दिनों के लिए भारत में रहना अनिवार्य किया गया है.” UIDAI के मुताबिक,
सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में यूआईडीएआई को निर्देश दिया था कि किसी भी अवैध अप्रवासियों को आधार जारी नहीं किया जाएगा.
बता दें कि हैदराबाद में 40 साल के एक ऑटो-रिक्शा चालक को यूआईडीएआई ने नोटिस भेजा है. शिकायत में उसका आधार कार्ड नकली बताया गया है. रिक्शा चालक सत्तार को UIDAI के अधिकारी के सामने पेश होने को कहा गया है. सत्तार खान के वकील मुजफ्फरुल्लाह खान शफात ने न्यूज एजेंसी आईएएनएस को बताया कि यूआईडीएआई के पास किसी भी व्यक्ति की राष्ट्रीयता पर सवाल उठाने की शक्ति नहीं है.
उन्होंने आगे कहा कि उन लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं जो "शिक्षित नहीं हैं.” शफात कहते हैं, “वे अपना नाम पढ़ना और लिखना भी नहीं जानते हैं. वे दिहाड़ी मजदूर हैं. उन्हें जो भी काम मिलेगा वो करेंगे. वे अपने परिवार को चलाने वाला अकेला शख्स है.”
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी UIDAI की नागरिकता के प्रमाण मांगने के अधिकार पर सवाल उठाया है. उन्होंने इसे "अवैध और अस्वीकार्य बताया है.
बता दें कि नोटिस में सभी 127 लोगों को 20 फरवरी को इन्क्वॉयरी ऑफिसर के दफ्तर में पेश होने साथ ही सभी ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स दिखाने को कहा गया था. लेकिन उन्हें आधार को प्राप्त करने के लिए अपने मूल दस्तावेज एकत्र करने में कुछ और समय लग सकता है, जैसा कि राज्य पुलिस द्वारा कहा गया है, यूआईडीएआई ने सुनवाई मई 2020 तक के लिए स्थगित कर दी है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)