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सुप्रीम कोर्ट ने आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया है. साथ ही अदालत ने ये भी साफ कर दिया है कि आधार को बैंक खातों, मोबाइल फोन या स्कूल में दाखिले के लिए मांगा जाना गैरजरूरी है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को सरकार और विपक्ष, दोनों ही अपनी जीत बता रहे हैं.
आधार के इस फैसले पर विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपनी अलग-अलग राय जाहिर की है.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि उनकी पार्टी के लिए आधार सशक्तिकरण का माध्यम था और कोर्ट ने अपने फैसले में कांग्रेस के इसी नजरिये का समर्थन किया है.
राहुल ने ट्वीट कर कहा:
कांग्रेस ने ट्वीट किया, ''हम आधार एक्ट के सेक्शन 57 को खारिज करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. अब निजी कंपनियां वेरिफिकेशन के नाम पर आधार का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी.''
कांग्रेस के सीनियर नेता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा, ''आज सुप्रीम कोर्ट ने हमारी बात मानी. उसने आधार एक्ट की धारा 57 को असंवैधानिक ठहराया. आधार के नाम पर सरकार की तरफ से की जाने वाली निगरानी को सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया है.''
आधार पर SC के फैसले को बीजेपी ने मोदी सरकार की बड़ी जीत करार दिया है. बीजेपी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने योजना की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. साथ ही पार्टी ने जोर दिया कि यह निजता का उल्लंघन नहीं करता है.
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि इस आदेश ने वास्तव में विपक्षी पार्टी का पर्दाफाश कर दिया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बिचौलियों का पक्ष लिया, जबकि मोदी सरकार ने आधार लाकर यह तय किया कि लोगों को सीधे लाभ मिले. पात्रा ने कहा कि कांग्रेस इसके खिलाफ शीर्ष अदालत गई थी. अदालत ने साफ किया है कि आधार सुरक्षित है.
पात्रा ने बोले, ''अदालत ने कहा कि आधार ने गरीबों को ताकत दी है. मोदी सरकार की तरह ही सुप्रीम कोर्ट देश के गरीबों के साथ खड़ा है.''
टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “ममता बनर्जी ने आधार पर खुली चुनौती जारी की थी. हमारा रुख सही साबित हुआ है. डेटा प्रोटेक्शन और डेटा सिक्योरिटी पर सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा, उससे मुझे खुशी हुई है.”
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘ऐतिहासिक' करार दिया. उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं को वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचाने से सरकार को सालाना 90,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है.
जेटली ने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक फैसला है. न्यायिक समीक्षा के बाद विशिष्ट पहचान संख्या की पूरी धारणा को स्वीकार किया गया है. यह स्वागत योग्य फैसला है. देश में अब 122 करोड़ लोगों के पास आधार संख्या है. हमारा अनुमान है कि सरकारी योजनाओं के लिये वास्तविक लाभार्थियों की पहचान और गलत या फर्जी लोगों को हटाये जाने से हमने सालाना करीब 90,000 करोड़ रुपये की बचत की है.''
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि फैसले ने व्यक्ति के निजता के अधिकार को बरकरार रखा है.
सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, “मोदी सरकार की कठोर धारा 57 रद्द..बैंक खाते, मोबाइल, स्कूल, विमान, ट्रेवल एजेंट, निजी कंपनियों द्वारा आधार डेटा की जरूरत समाप्त. अब वक्त आ गया है अगले कदम का..नागरिकों के जुटाए गए डेटा को नष्ट किया जाए.”
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